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Wartime Safety Measures: भारत के विभिन्न राज्यों में अस्पतालों की छतों पर रेड क्रॉस चिन्ह, युद्धकालीन सुरक्षा उपाय

युद्ध या संघर्ष की स्थिति में अस्पतालों और अन्य चिकित्सा सुविधाओं को जानबूझकर निशाना बनाना एक गंभीर अपराध है।

by Reeta Rai Sagar
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  • तनाव के बीच चिकित्सा सुविधाओं को सुरक्षा कवच, जिनेवा कन्वेंशन का पालन

Central Desk : भारत और पाकिस्तान के बीच गहराते तनाव के माहौल में, देश के विभिन्न राज्यों ने एक महत्वपूर्ण और एहतियाती कदम उठाया है। जम्मू और कश्मीर, तेलंगाना और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के अस्पतालों ने अपनी छतों पर बड़े-बड़े रेड क्रॉस के निशान पेंट करना शुरू कर दिया है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के तहत चिकित्सा संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है, ताकि किसी भी संभावित हवाई हमले या सैन्य कार्रवाई के दौरान इन जीवनरक्षक सुविधाओं को क्षति से बचाया जा सके।

रेड क्रॉस चिन्ह और जिनेवा कन्वेंशन

रेड क्रॉस का प्रतीक न केवल एक चिन्ह है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत एक शक्तिशाली सुरक्षा कवच भी है। जिनेवा कन्वेंशन स्पष्ट रूप से कहता है कि युद्ध या संघर्ष की स्थिति में अस्पतालों और अन्य चिकित्सा सुविधाओं को जानबूझकर निशाना बनाना एक गंभीर अपराध है। इन संस्थानों की स्पष्ट पहचान के लिए इनकी छतों पर बड़े और विशिष्ट रेड क्रॉस चिन्ह का प्रदर्शन आवश्यक है, ताकि शत्रु पक्ष भी इन्हें आसानी से पहचान सके और किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई से बचा जा सके।

जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा उपाय

जम्मू और कश्मीर, जो सीमा पर सीधे तनाव का सामना कर रहा है, इस दिशा में तेजी से कदम उठा रहा है। श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज ने लोक निर्माण विभाग को सभी स्वास्थ्य सुविधाओं की छतों पर “एच” अक्षर या रेड क्रॉस चिन्ह पेंट करने का निर्देश दिया है। इसके परिणामस्वरूप, एसएमएचएस अस्पताल, लाल डेड अस्पताल और बोन एंड जॉइंट अस्पताल जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थानों की छतों पर यह सुरक्षात्मक चिन्ह स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। इतना ही नहीं, लाल डेड अस्पताल में रात के समय भी पहचान सुनिश्चित करने के लिए लाल रंग की फ्लिकर लाइट्स लगाई गई हैं। हालांकि, बारामूला जैसे कुछ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी बर्फबारी के कारण पेंटिंग का कार्य कुछ बाधाओं का सामना कर रहा है।

तेलंगाना में अस्पतालों की तैयारी

तेलंगाना भी इस महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय को लागू करने में पीछे नहीं है। हैदराबाद और राज्य के अन्य सरकारी और निजी अस्पतालों को अपनी छतों पर 12×12 फीट के आकार में सफेद पृष्ठभूमि पर रेड क्रॉस चिन्ह पेंट करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। राज्य चिकित्सा सेवा और बुनियादी ढांचा विकास निगम के निदेशक डॉ. ए. नरेंद्र कुमार के अनुसार, राज्य के 287 अस्पतालों में से अब तक 164 पर यह चिन्ह अंकित किया जा चुका है, और शेष अस्पतालों में भी यह कार्य तेजी से पूरा किया जा रहा है।

मध्य प्रदेश में ग्वालियर का उदाहरण

मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में भी इस दिशा में सक्रियता दिखाई गई है। गजराराजा मेडिकल कॉलेज और इससे जुड़े जय आरोग्य समूह के अस्पतालों की छतों पर भी रेड क्रॉस के स्पष्ट निशान पेंट किए गए हैं। कॉलेज के डीन डॉ. आर. के. एस. धाकड़ ने बताया कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देशों के अनुरूप उठाया गया है, ताकि अस्पतालों को किसी भी अप्रिय घटना से सुरक्षित रखा जा सके। उल्लेखनीय है कि गजराराजा मेडिकल कॉलेज, जो 1946 में स्थापित हुआ था, राज्य का पहला मेडिकल कॉलेज है और 2190 बिस्तरों की क्षमता के साथ एक महत्वपूर्ण चिकित्सा केंद्र है।

भारत के विभिन्न राज्यों में अस्पतालों की छतों पर रेड क्रॉस चिन्ह पेंट करने की यह पहल न केवल एक युद्धकालीन सुरक्षा उपाय है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के प्रति देश की गहरी प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है। यह कदम यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा कि संघर्ष की स्थिति में भी नागरिकों को आवश्यक चिकित्सा सहायता निर्बाध रूप से मिलती रहे। यह एक दूरदर्शी और संवेदनशील कदम है, जो मानवीय मूल्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।

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