रांची: झारखंड में शराब घोटाले की जांच के तहत गिरफ्तार किए गए निलंबित वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे और तत्कालीन उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को शनिवार को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की विशेष अदालत में पेश किया गया। अदालत ने दोनों अधिकारियों को दोबारा न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है। इससे पहले एसीबी ने पूछताछ के लिए दोनों अधिकारियों को रिमांड पर लिया था, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से केवल एक दिन ही पूछताछ हो सकी।
तबीयत खराब होने का हवाला दे नहीं दिए जवाब
जांच की प्रक्रिया के तहत शुक्रवार को दोनों अधिकारियों से अलग-अलग पूछताछ की गई थी। पूछताछ के दौरान विनय चौबे ने खराब तबीयत का हवाला देते हुए कई सवालों के जवाब नहीं दिए। एसीबी की टीम ने प्लेसमेंट एजेंसियों के चयन का आधार, बकाया भुगतान न करने वाली कंपनियों पर की गई कार्रवाई और बैंक गारंटी जांच में बरती गई अनियमितताओं से संबंधित सवाल पूछे, लेकिन चौबे ने अपनी सीधी संलिप्तता से इनकार किया। उन्होंने उत्पाद सचिव के तौर पर निभाई गई भूमिका को लेकर भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी।
पूर्व संयुक्त उत्पाद आयुक्त ने भी अपनी भूमिका से किया इन्कार
दूसरी ओर, पूर्व संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह ने भी अपनी भूमिका से इन्कार किया है। उन्होंने बताया कि प्लेसमेंट एजेंसियों का कार्य जेएसबीसीएल (झारखंड स्टेट बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड) के अधीन आता है और इसका उनके प्रत्यक्ष कार्यों से कोई लेना-देना नहीं रहा। पूछताछ के दौरान उन्होंने उत्पाद विभाग की जिम्मेदारियों और प्रक्रिया संबंधी जानकारी साझा की, लेकिन उन्होंने भी किसी भी अनियमितता में व्यक्तिगत संलिप्तता से स्पष्ट रूप से इनकार किया।
कड़ियों को जोड़ने में जुटी जांच एजेंसी
शराब घोटाले में अब तक कई प्रशासनिक लापरवाहियों और वित्तीय अनियमितताओं के सुराग मिल चुके हैं, जिसकी गहन जांच एसीबी द्वारा की जा रही है। झारखंड सरकार के उच्च स्तर के अधिकारियों की संलिप्तता से जुड़े इस मामले ने राज्य प्रशासन और सरकारी एजेंसियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच एजेंसी अब आगे की कड़ियों को जोड़ने और दोषियों की पहचान करने में जुटी है।