त्रिशूर : कोडगरा क्षेत्र में शुक्रवार सुबह एक जीर्ण-शीर्ण दो मंजिला इमारत ढहने से तीन प्रवासी श्रमिकों की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा सुबह करीब 6 बजे हुआ, जब भारी बारिश के कारण पहले से कमजोर हो चुकी इमारत भरभराकर गिर पड़ी। हादसे के वक्त कुल 17 प्रवासी श्रमिक इमारत में रह रहे थे, जो काम पर जाने की तैयारी कर रहे थे।
हादसे में मारे गए श्रमिकों की पहचान
इस हादसे में मारे गए दो प्रवासी श्रमिकों की पहचान राहुल (19) और रूपेल (21) के रूप में हुई है, जो दोनों पश्चिम बंगाल के निवासी थे। तीसरे मृतक की शिनाख्त की प्रक्रिया जारी है, हालांकि अलीम नामक एक व्यक्ति के लापता होने की जानकारी पहले से थी, जिससे आशंका है कि तीसरा शव उन्हीं का हो सकता है।
बचाव कार्य में तेजी, भारी मशीनरी का किया गया उपयोग
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस, अग्निशमन विभाग और स्थानीय बचाव दल मौके पर पहुंच गए। बचाव कार्य के लिए जेसीबी और हिताची जैसी भारी मशीनरी का इस्तेमाल किया गया। मलबे से निकाले गए रूपेल की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि गंभीर रूप से घायल राहुल को अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। तीसरे शव को भी मलबे से बाहर निकाला गया और पोस्टमार्टम के लिए त्रिशूर मेडिकल कॉलेज भेजा गया है।
हादसे की वजह : भारी बारिश और कमजोर इमारत
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि भारी बारिश और इमारत की खस्ताहाल स्थिति इस दुर्घटना के प्रमुख कारण थे। यह हादसा प्रवासी श्रमिकों की आवासीय सुरक्षा पर गहन सवाल खड़े करता है। बताया जा रहा है कि यह इमारत लंबे समय से जर्जर हालत में थी और इसकी मरम्मत नहीं की गई थी।
जिला प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
हादसे की जानकारी मिलते ही त्रिशूर के जिला कलेक्टर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव कार्यों की निगरानी की। प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को तुरंत सहायता पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। क्षेत्र की यातायात व्यवस्था को अस्थायी रूप से डायवर्ट किया गया, ताकि बचाव अभियान में कोई बाधा न आए।
प्रशासन ने बताया कि फिलहाल इस आपदा में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की आवश्यकता नहीं पड़ी, क्योंकि स्थानीय बचाव दल और पुलिस ने मिलकर समय पर प्रभावी कार्रवाई की।
हादसे की जांच के आदेश, प्रवासी आवास सुरक्षा पर उठे सवाल
जिला प्रशासन ने इस घटना की गहन जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच में यह स्पष्ट किया जाएगा कि इमारत के लिए कौन-कौन से सुरक्षा मानक अपनाए गए थे और उनमें क्या-क्या खामियां रहीं। यह हादसा राज्य में प्रवासी श्रमिकों के लिए उपलब्ध कराए जा रहे आवास की गुणवत्ता और संरचनात्मक सुरक्षा को लेकर प्रशासन की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
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