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Sawan Third Somwar 2025 : सावन का तीसरा सोमवार आज, जानें पूजन विधि, जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त और बन रहे शुभ योग

by Rakesh Pandey
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Sawan Third Somwar 2025 : आज 28 जुलाई 2025 को सावन महीने की तीसरी सोमवारी है, जो भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत पावन और शुभ मानी जाती है। इस दिन शिवभक्त व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस वर्ष का तीसरा सोमवार एक दुर्लभ संयोग लेकर आया है, जिसमें भगवान शिव और गणेश जी दोनों की संयुक्त आराधना का अवसर प्राप्त हो रहा है।

सावन सोमवार 2025 का धार्मिक महत्व

सावन मास को भगवान शिव का प्रिय महीना माना गया है। विशेष रूप से सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक और पूजा से महामृत्युंजय शिव की कृपा प्राप्त होती है। शिव के नीलकंठ, रुद्र, त्रयम्बक, नटराज और आदिदेव रूपों की पूजा आज के दिन विशेष फलदायी मानी जाती है।

सावन की तीसरी सोमवारी 2025 : जलाभिषेक के शुभ मुहूर्त (Sawan Third Somwar 2025 Jalabhishek Shubh Muhurat)

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्तसुबह 4:17 बजे से 4:59 बजे तक
अभिजीत मुहूर्तदोपहर 12:00 बजे से 12:55 बजे तक
प्रदोष कालशाम 7:15 बजे से रात 8:33 बजे तक

इन तीनों मुहूर्तों में भगवान शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।

आज बन रहे हैं ये विशेष योग (Sawan Third Somwar 2025 Shubh Yog)

रवि योग : सुबह 5.40 बजे से शाम 5.35 बजे तक

शिव योग: पूरे दिन रहेगा

इन शुभ योगों में महादेव की पूजा और व्रत करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। शिव योग में पूरे दिन किसी भी समय शिव पूजन किया जा सकता है।

विनायक चतुर्थी और सावन सोमवार का दुर्लभ संयोग

इस वर्ष सावन का तीसरा सोमवार और विनायक चतुर्थी एक ही दिन पड़ रहा है, जिससे यह दिन दुर्लभ योग का निर्माण कर रहा है। भक्त इस अवसर पर भगवान शिव के साथ-साथ भगवान गणेश की भी पूजा कर रहे हैं। यह संयोग आध्यात्मिक रूप से विशेष शक्ति प्रदान करने वाला माना गया है।

सावन की तीसरी सोमवारी : पूजन विधि (Sawan Third Somwar Pujan Vidhi)

प्रातःकाल या प्रदोषकाल में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

शिव मंदिर में नंगे पैर जाएं और घर से जल भरा लोटा लेकर जाएं।

शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, शहद, बेलपत्र, भस्म, धतूरा आदि अर्पित करें।

शिव मंत्र – ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का 108 बार जाप करें।

दिनभर फलाहार करें और शिव ध्यान में मन लगाएं।

संध्या के समय पुनः पूजा करें और शिव आरती उतारें।

अगले दिन व्रत का पारण करें – अन्न और वस्त्र का दान करें।

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