RANCHI: रिम्स में अव्यवस्था और स्थिति को लेकर पीआईएल मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की पीठ में सुनवाई के दौरान झारखंड के हेल्थ सेक्रेटरी और डायरेक्टर रिम्स को बुधवार को सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा रिम्स में नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस लेने के बावजूद प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की भी डिटेल प्रस्तुत करने को कहा गया है। साथ ही सभी डॉक्टरों की बायोमीट्रिक अटेंडेंस भी मांगी गई है। जिससे कि ये साफ हो सके कि कौन डॉक्टर हॉस्पिटल में कितनी देर ड्यूटी कर रहे है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि विभाग रिम्स को करोड़ों रुपये व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए देती है। लेकिन इसे बहाना बनाकर रिम्स प्रबंधन लौटा देता है। मशीन की खरीदारी समेत कई और मामलों में भी कोर्ट ने टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि रिम्स जैसे राज्य के इतने बड़े हॉस्पिटल में रिक्रूटमेंट को लेकर भी वैकेंसी निकाली जाती है। लेकिन उसे क्लियर नहीं किया जाता। हर बार विज्ञापन निकालकर प्रोसेस पूरा नहीं किया जाता है। इस वजह से मैनपावर की भारी कमी है। इस मामले में भी हॉस्पिटल प्रबंधन से रिपोर्ट मांगी गई है।
2018 में किया गया था पीआईएल
राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में अव्यवस्था को लेकर पीआईएल किया गया। 2018 में पीआईएल के बाद लगातार इस मामले में सुनवाई हुई। व्यवस्था सुधारने के निर्देश भी दिए गए। लेकिन प्रबंधन व्यवस्था सुधारने में विफल रहा। हर बार कुछ न कुछ बहाना बनाकर कोर्ट से समय लिया। अब हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है।