Deoghar: झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर में वीवीआईपी दर्शन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद जुड़ा है गोड्डा से भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे और दिल्ली के भाजपा सांसद एवं फिल्म अभिनेता मनोज तिवारी सहित अन्य से। इन सभी पर मंदिर के नियमों के उल्लंघन करने का आरोप है।
बता दें कि 2 अगस्त को कांवड़ यात्रा के दौरान मनोज तिवारी बाबा बैद्यनाथ मंदिर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने मंदिर के निकास द्वार से प्रवेश कर वीवीआईपी दर्शन किया। पंडा समाज ने इस पर तीखी आपत्ति जताई और इसे परंपराओं और नियमों का उल्लंघन बताया।
पंडा समाज ने दर्ज कराई शिकायत
पंडा धर्म रक्षिणी महासभा के पूर्व महामंत्री कार्तिक नाथ ठाकुर ने इस घटना को लेकर देवघर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में जिन लोगों के नाम हैं, उनमें शामिल हैं- सांसद निशिकांत दुबे, उनके पुत्र कनिष्ककांत दुबे, दिल्ली सांसद मनोज तिवारी, सांसद के सचिव शेषाद्री दुबे और अभयानंद झा।
कार्तिक ठाकुर ने आरोप लगाया कि जब बाबा को कांचा जल से पूजा की जा रही थी, उसी समय ये सभी लोग मंदिर परिसर में जबरन प्रवेश कर गए। पुरोहितों द्वारा मना करने के बावजूद सांसद के दबाव में मनोज तिवारी और उनके सचिव को गर्भगृह में प्रवेश कराया गया। बता दें कि बैद्यनाथ धाम में बाबा को कांचा जल चढ़ाए जाने के बाद कोई और जल नहीं चढ़ा सकता है।

सरकारी आदेश का उल्लंघन और भगदड़
श्रावणी मेले के दौरान बाबा बैद्यनाथ मंदिर में विशेष व्यवस्था रहती है। गर्भगृह में आम दर्शनार्थियों का प्रवेश वर्जित होता है और जब बाबा को कांचा जल चढ़ाया जाता है, तब कोई अन्य जल चढ़ाना मना होता है। इसके बावजूद, मनोज तिवारी ने सभी नियमों को दरकिनार करते हुए गर्भगृह में जल अर्पण किया। इससे मंदिर परिसर में अराजकता फैल गई और भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।
कार्तिक ठाकुर ने इसे सरकारी आदेश और धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन बताया और सख्त कार्रवाई की मांग की है।
बाबूलाल मरांडी ने किया निशिकांत दुबे का समर्थन
FIR दर्ज होने के बाद, नेता प्रतिपक्ष और झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने खुलकर निशिकांत दुबे का संर्थन किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि,
“नीचता की हद पार करने पर उतारू होकर साज़िश रचने और षड्यंत्र करने में लगे झारखंड पुलिस के कुछ अफसरों को याद रखना चाहिए कि वर्दी पहनने का मतलब जनता की रक्षा है, न कि व्यक्तिगत वैमनस्यता और निजी स्वार्थ पूर्ति के लिये न्याय का गला घोंटना।
आगे मरांडी ने लिखा- कुर्सी और वर्दी समय के मेहमान हैं… कर्म और नीयत ही असली पहचान है। अगर कानून के रक्षक ही साज़िश करने लगें तो एक दिन जनता का भरोसा सच्चाई का तूफ़ान बन जाता है।