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लव जिहाद और धर्मांतरण का जवाब अब आदिवासी जनअभियान से

by Rakesh Pandey
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– लिया निर्णय, शराब बनाकर व्यवसाय किया तो थाने में करवाएंगे प्राथमिकी, शाम छह बजे के बाद गांव में शराब पीने पर भी रहेगी पांबदी

जामताड़ा : आदिवासी समाज के लोग अब लव जिहाद और धर्मांतरण का जवाब आदिवासी समाज के महाजुटान के बाद जनअभियान से देने की तैयारी में जुटे हैं। पिछले दिनों करमाटांड़ के ताराबहाल स्थित निजकजरा गांव से शुरू हुई आदिवासी समाज की यह मुहिम अब जनअभियान का रूप लेकर गांव-गांव तक पहुंच रहा है। शनिवार को इसी कड़ी में समाज के बहू-बेटियों का धर्म परिवर्तन करवाने की घटनाओं पर रोक लगाने के उद्देश्य से करमाटांड़ प्रखंड के फोफनाद में एक बैठक का आयोजन किया गया। इसकी शुरूआत गांव में मुखिया योगेंद्र टुडू ने सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर की।

इस दौरान लोगों ने निर्णय लिया कि आदिवासी समाज में जो भी शराब का व्यवसायिक इस्तेमाल करेगा उनके घरवालों के खिलाफ संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। वह अपने समाज के लोगों के बीच ही शराब का देन-लेन कर सकता है। इतना ही नहीं, शाम 6:00 बजे के बाद गांव का कोई भी व्यक्ति शराब पीता और पिलाता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

किसी भी हाल में दूसरे समुदाय को ना तो शराब देनी है और ना ही बेचनी है जमीन:-
इस दौरान आदिवासी समाज के लोगों ने यह निर्णय लिया कि किसी भी सूरत में दूसरे समुदाय के लोगों को शराब नहीं पिलानी है। साथ ही शाम छह बजे के बाद गांव में ऐसे लोगों के प्रवेश पर भी पाबंदी रहेगी। इतना ही नहीं, आदिवासी समाज का कोई व्यक्ति जमीन किसी भी हाल में मुसलमानों को नहीं बेच सकता है। यदि कोई भी समाज का व्यक्ति ऐसा करता है तो पूरा समाज एकजुट होकर इसे रोकेगा। समाज में बैठकर पहले निर्णय लिया जाएगा और बाद में उसकी जरूरतों को देखते हुए समाज के लोग आपस में इसका फैसला करेंगे। ताकि ऐसे लोगों की जरूरतों का हल सामाजिक स्तर से आदिवासी समाज के लोग ही पूरी कर दें। ऐसे में सामाजिक निर्णय ही महत्वपूर्ण निर्णय होगा। साथ ही अपने परिवार व समाज के बच्चों को शिक्षा से जोड़ना है। ताकि शिक्षित समाज का निर्माण हो सके।

शादी में दूसरे समुदाय में तो फिर आरक्षण का लाभ क्यों:-
बैठक के दौरान मुखिया योगेंद्र टुडू ने कहा कि यदि आदिवासी महिला या युवती किसी दूसरे समुदाय में शादी करती है तो स्वत: ही वह अपने पति के धर्म में शामिल हो जाती है। ऐसे लोगों को आदिवासी आरक्षण का लाभ सरकार कैसे दे सकती है। जबकि आदिवासी समाज के हजारों लोग पहले इसाई और अब मुसलमान बनकर आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। यह पूरी तरह से सुनियोजित और सोची-समझी रणनीति के तहत आदिवासियों का धर्मांतरण हमारे अस्तित्व को मिटाने की साजिश चल रही है।

सरकार को अब जल्द यह निर्णय लेना होगा कि जो महिला या पुलिस आदिवासी समाज में नहीं वह आदिवासी आरक्षण की सुविधाओं का भी भाेगी नहीं बन सकता। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर सरकार को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाना ही होगा। सरकार को आदिवासी हितों को ध्यान में रखते हुए कानून बनाना होगा। इस मौके पर बाबूलाल सोरेन, नंदकिशोर सोरेन, हीरालाल सोरेन, रविलाल टुडू, ओबी लाल मरांडी, जयदेव सोरेन, जयनारायण सोरेन व अर्जुन सोरेन समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे।

बयान…..
आदिवासी एकता मंच की ओर से पिछले दिनों ताराबहाल के निजकजरा गांव में आदिवासी महाजुटान किया गया था। जिसमें आदिवासी समाज के हित को लेकर कई मुद्दों पर चर्चा की गई थी। इस निमित्त आज विशेष बैठक बुलाई गई। बैठक में ग्रामीणों ने आदिवासी महिलाओं को लव जिहाद एवं बहला-फुसलाकर शादी रचाने वाले लोगों से सतर्क रहने की सलाह दी गई। साथ ही इससे बचने के उपायों इस षडयंत्र के खिलाफ लोगों से एकजुटता बनाए रखने की अपील की गई।
योगेंद्र टुडू, मुखिया, फोफनाद पंचायत

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