Home » जिस लैंड फॉर जॉब मामले में सीबीआई ने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत पूरे परिवार को बनाया आरोपी वह 600 करोड़ का है घोटाला, जानिए कब व कैसे हुआ घोटाला

जिस लैंड फॉर जॉब मामले में सीबीआई ने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत पूरे परिवार को बनाया आरोपी वह 600 करोड़ का है घोटाला, जानिए कब व कैसे हुआ घोटाला

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने लालू यादव के परिवार के खिलाफ शिकंजा कस दिया है। केंद्रीय एजेंसी ने दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले में आरोप पत्र दाखिल किया है। इसमें पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और कई अन्य को आरोपी बनाया गया है।

विदित हो कि इससे पहले दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई को नौकरी के बदले जमीन मामले में चार्जशीट दाखिल दायर करने का अतिरिक्त समय दिया था।

तब सीबीआई की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि वह कोर्ट की छुट्टी के बाद अपना पूरक आरोप पत्र दाखिल करेगी, जिसके बाद कोर्ट की ओर से कहा गया कि इस मामले में अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।

सीबीआई ने इस लिए मांगा था अतिरिक्त समय

इस मामले में लगातार हो रही देरी पर अदालत ने सीबीआई फटकार लगाते हुए कहा था कि एजेंसी की ओर से मामले में लगातार देरी की जा रही है जिसे स्वीकार्य नहीं किया जा सकता। इस पर केंदीय एजेंसी ने अपने जवाब में कहा था कि इस मामले की अभी भी जांच चल रही है और उन्हें नए तथ्यों को शामिल करने के लिए कुछ और समय चाहिए, जिस पर कोर्ट जारी हो गया था। इसके बाद बाद ही सोमवार को सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की है।

CBI ने लालू परिवार से मांगा था संपत्ति का ब्योरा

मई में रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मामले की जांच के क्रम में सीबीआइ ने लालू परिवार के सभी सदस्यों के नाम से खरीदी गई संपत्ति का ब्योरा मांगा था। इसमें साल 2004 से 2009 तक तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, बिहार के वर्तमान उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद, मंत्री तेजप्रताप एवं मीसा भारती समेत लालू की सभी सात बेटियों के नाम से खरीदी, गिफ्ट की गई या लीज पर दी गई अचल संपत्ति का विवरण राज्य के निबंधन महानिरीक्षक (आइजी) को पत्र भेजकर उपलब्ध कराने के लिए कहा था।

इस वर्ष अप्रैल में 8 घंटे तक हुई थी पूछताछ

लैंड फॉर जॉब केस में सीबीआई ने तेजस्वी यादव से दिल्ली में 11 अप्रैल को 8 घंटें पूछताछ की गई थी। CBI ने तेजस्वी से दो शिफ्ट में करीब आठ घंटे तक अलग-अलग सवालों के जवाब पूछे थे। तबतेजस्वी ने कहा था कि जब भी जांच हुई है हमने सहयोग किया है और जो सवाल किए गए उसके हमने जवाब दिए। ये निराधार चीजें हैं। सच्चाई यह है कि कोई घोटाला हुआ ही नहीं है। भाजपा की केंद्र सरकार उन्हें व उनके परिवार को फंसाने के लिए सीबीआई का उपयोग कर रही है। हालांकि इससे पहले तेजस्वी CBI के समन को रद्द करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गए थे। कोर्ट ने डिप्टी CM की CBI के समन को रद्द करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।

ऐसे आया लैंड फॉर जॉब घोटाला में तेजस्वी का नाम

यह मामला 2004 से 2009 तक केंद्रीय रेलमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव से जुड़ा है। आरोप यह है कि लालू प्रसाद ने पद पर रहते हुए परिवार को जमीन हस्तांतरित के बदले लोगों को रेलवे में नौकरियां दिलवाईं। लेकिन भर्तियां भारतीय रेलवे के मानकों के दिशा निर्देशों के अनुरुप नहीं थीं। जांच में यह बात सामने आयी की दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित मकान संख्या D-1088 (एबी एक्सपोर्ट्स प्रा.लि. के नाम रजिस्टर्ड है। इस कंपनी के मालिक तेजस्वी प्रसाद यादव और उनका परिवार है।) का आज बाजार मूल्य 150 करोड़ है।
इसे खरीदने में मुंबई के जेम्स और ज्वेलरी के कारोबारियों ने पैसा लगाया है। कागज पर यह कंपनी का ऑफिस है, लेकिन तेजस्वी इसे अपने घर की तरह इस्तेमाल करते हैं।

तेजस्वी ने 9 नवंबर 2015 को इस कंपनी के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था। तेजस्वी कह चुके हैं कि जिस समय का मामला है उस समय वे काफी छोटे थे। लेकिन केंद्रीय एजेंसी इससे संतुष्‍ट नहीं हुई।

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600 करोड़ रुपए का है लैंड फॉर जॉब घोटाला:

लैंड फॉर जॉब केस किताना बड़ा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED)ने कहा था कि यह 600 करोड़ का घोटाला है। जांच में पता चला है कि 350 करोड़ रुपए के प्लॉट और 250 करोड़ रुपए लेनदेन हुई।

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