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सावन में करें द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन : मान्यता, भगवान भोलेनाथ पूरी करते हैं हर मनोकामना

by Rakesh Pandey
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जमशेदपुर : भगवान शिव के प्रिय सावन महीने की शुरुआत हो चुका है। पूरे देश भर में भक्त अपने आराध्य भगवान शिव के दर्शन व पूजा के लिए विभिन्न मंदिरों में जा रहे है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन माह में भगवान शिव के दर्शन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। सावन में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भक्तों के सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।

जाने भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग कहाँ- कहाँ पर स्थित है?

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग देश के अलग अलग क्षेत्रों में स्थित है। देश के पूरब, पश्चिम, उतर, दक्षिण सभी दिशाओं में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग स्थित है। जहाँ दर्शन के लिए देश के सभी जगहों से लोग दर्शन करने आते है। विशेषकर सावन माह में दर्शन के लिए लाखों की भीड़ मंदिरों के पास होती है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग : सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारहों ज्योतिर्लिंग में पहला ज्योतिर्लिंग है।

सोमनाथ गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है। यह अरब सागर के तट पर स्थित है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना चंद्रदेव ने की थी। चंद्रदेव को प्रजापति दक्ष ने छय रोग होने का श्राप दिया था, तो इसी स्थान पर चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति के लिए भगवान शिव की पूजा की थी। उन्होंने कठिन तप और तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया था। उसके बाद भगवान शिव चंद्रदेव
को दर्शन देकर उनका कष्ट को दूर किया था।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में स्थित है। यह भगवान शिव का दूसरा ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग कृष्णा नदी के किनारे पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग को पूजा करने से सारे मनोकामनाएं पूरी होती है ।

यहां पर मां पार्वती संग भगवान शिव साथ में विराजमान होते हैं । धर्म ग्रंथों के अनुसार मल्लिकार्जुन का अर्थ मल्लिका यानी कि पर्वती और अर्जुन का अर्थ भगवान शंकर है। पुराणों के अनुसार मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में महादेव और मां पार्वती की संयुक्त रूप से दिव्य ज्योतियाँ मौजूद है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए भक्तों को घने जंगलों से होकर गुजारना पड़ता है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग यह मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां रोजाना भस्म आरती होती है ,जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है । इस आरती की खासियत यह है कि इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है । इस आरती में शामिल होने के लिए पहले से बुकिंग की जाती है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकाल ही एकमात्र सर्वोत्तम शिवलिंग है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग यह मध्य प्रदेश मध्य प स्थित है। मध्य प्रदेश में दो ज्योतिर्लिंग स्थित है। कहलाता यह मध्य प्रदेश का दूसरा व 12 ज्योतिर्लिंग में चौथा ज्योतिर्लिंग है। यह मध्य प्रदेश के इंदौर से करीब 80 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के किनारे एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग का आकार ओम का आकर के समान है।

इसलिए इसे ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा गया है। शिव पुराण के अनुसार इन्हें परमेश्वर लिंग के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा मांधाता ने इसी पर्वत पर कठोर तपस्या कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया था । राजा मांधाता के कहने पर शिवलिंग के रूप में भगवान शिव स्थापित हो गए।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में स्थित है। हिंदु शास्त्रो के अनुसार चार धामों में केदारनाथ धाम एक है। यह अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। यह रुद्रप्रयाग जिले में गौरीकुंड से करीब 16 किलोमीटर दूरी पर मंदिर स्थित है । ठंड के दिन में या मंदिर बंद रहता है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत के समय शिवजी ने पांडव को पशु रूप में दर्शन दिए थे । केदार नाथ मंदिर को गुरु शंकराचार्य आठवीं सदी में में बनाया था।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग यह महाराष्ट्र में स्थित है। महाराष्ट्र में 3 ज्योतिर्लिंग स्थित है । पहला पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर डाकिनी में बसा है। इस शिवलिंग मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के पवित्र वाराणसी में स्थित है। काशी प्राचीन सप्तपुरियों में से एक है।यहां महादेव के साथी देवी पर्वती भी विराजित है। यहाँ स्वर्ग से महर्षि नारद समेत सभी देवी देवता आते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। यहाँ जिस व्यक्ति की यहां मृत्यु होती उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। बाबा विश्वनाथ का मंदिर गंगा नदी के तट पर स्थित है कहा जाता है कि भगवान शिव ने कैलाश छोड़कर काशी को ही अस्थाई निवास बना लिया था।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग यह महाराष्ट्र का दूसरा ज्योतिर्लिंग है । यह नासिक से 30 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। गौतम ऋषि और गोदावरी की प्रार्थना पर भगवान शिव इस स्थान पर बस गए थे । मान्यता के अनुसार यहां स्थित शिवलिंग में ब्रह्मा विष्णु और महेश की एक साथ पूजा होती है। मंदिर के पास ही ब्रह्मगिरी पर्वत है । इस पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। इस मंदिर को वैद्यनाथ धाम कहा जाता है । इसे रावणेश्वर भी कहा जाता है । मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में रावण शिव जी का परम भक्त था व हिमालय में शिवलिंग बनाकर तब कर रहा था। तभी शिवजी रावण की तप से प्रसन्न होकर वरदान माँगने को कहा।

रावण ने मांगा कि वो उन्हें अपने राज्य श्रीलंका में स्थापित करने का मांग किया। तब भगवान शिव ने एक शर्त पर वरदान दिया था । शिव जी ने कहा था कि उन्हें ले जाते समय शिवलिंग को कहीं रखना नहीं है। इस पर रावण ने भगवान शिव की बात मानकर चल दिया। तभी उसे बाद में जोर से लघुशंका हुआ।

उस समय वो न चाहते हुए भी शिवलिंग को एक भगवान के रूप में आये एक बालक के हाथ में थमा दिया। लघुशंका में ज्यादा देर होने पर बालक ने शिवलिंग को नीचे में रख दिया। तब से भगवान शिव वहीं स्थापित हो गए। इसलिए इस शिवलिंग को रावणेश्वर भी कहा जाता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात में स्थित है। यह गुजरात के बड़ौदा जिले के द्वारका में स्थित है। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि भगवान शिव की इच्छा से ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ा।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथ नाम के स्थान पर बसा है। रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग को लेकर मान्यता है कि श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले यह शिवलिंग की स्थापना की थी। तब से यह शिवलिंग रामेश्वरम का नाम से प्रसिद्ध हो गया।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग यह महाराष्ट्र में स्थित है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास दौलताबाद क्षेत्र में स्थित है ।

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