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टीम इंडिया और टीम एनडीए में 2024 होगा संग्राम, शुरू हुआ लोकसभा चुनाव के रोमांच का दौर

by Rakesh Pandey
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पॉलिटिकल डेस्क, नई दिल्ली: जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था, 17 व 18 जुलाई राजनीतिक हलचलों से भरा रहेगा, वैसा ही हुआ। विपक्षी एकता का ट्रेलर पहले पटना और अब बेंगलुरु में हुई बैठक पूरी तरह सफल रहा। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तैयार की जा रही पटकथा को अब आगे बढ़ाने का काम शुरू हो गया है। अब इंडिया नाम से 2024 के लिए 26 दलों का गठबंधन तैयार है। ये वो गठबंधन है, जिसमें तमाम क्षेत्रीय क्षत्रप हैं। जिनका बड़ा जनाधार भी है। मतलब यह कि विपक्षी एकता के विस्तार में दम दिख रहा है। 26 विपक्षी दलों ने अपने पत्ते अब खोल दिये हैं।

2024 में मोदी को हराने के लिए मिलजुल कर चुनावी समर में उतरने के लिए तैयार हैं। विपक्षी पार्टियों की इस लामबंदी से एनडीए में भी हलचल तेज हो गयी है। क्योंकि अब भाजपा की नाकामियां कहें या ईडी, सीबीआई व अन्य एजेंसियों का दुरुपयोग, भाजपा के इस तरह के प्रयोग ने सभी क्षेत्रियों पार्टियों को एक पाले में ला खड़ा किया है। जो अब भाजपा के लिए सिरदर्द बन चुके हैं। यूं कहें अब जबरदस्त चुनौती देने को तैयार हैं।

जब-जब विपक्षी पार्टियां हुईं एक, बदल गया समीकरण

भारतीय राजनीति में यह तीसरा मौका है जब सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ विपक्षी दल एकजुट हुए हैं। इससे पहले 1977 में पहली बार विपक्षी नेता एक साथ आये थे। गठबंधन की सरकार बनी और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में देश में पहली गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ था। इसके बाद जनता पार्टी ने अलग-अलग दलों के समर्थन से 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनायी थी। अब 2024 के चुनाव में तीसरा मौका होगा जब तमाम विपक्षी दल एकजुट होकर सत्ता पक्ष के खिलाफ हुंकार भरेंगे।

कांग्रेस की गलतियों से भाजपा ने नहीं लिया सबक

कांग्रेस ने 1977 व 1989 में जो गलतियां की, वही भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार दोहरा रही है। उस समय भाजपा विपक्ष की भूमिका में थी। अब कांगेस गठबंधन की इंडिया चुनौती दे रही है। उस समय भी ताकतवर सरकार होने के बावजूद सरकार बदलते देर नहीं लगी थी। देश के लोगों का मिजाज बदला और लोकसभा चुनाव होते ही लोगों ने सरकार बदल दिया। पहले भी लोग दमनकारी नीतियों के विरुद्ध एकजुट हुए थे और 2023 में इसी प्रकार का राजनीतिक सीन बन रहा है।

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भाजपा को चुनौती देने को तैयार इंडिया

बेंगलुरु में हुई 26 विपक्षी दलों की बैठक में गठबंधन का नाम इंडिया क्यों रखा गया। इंडिया यानी इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इन्क्ल्यूसिव अलायंस। बेंगलुरु में बैठक के समापन पर राहुल गांधी ने सीधे-सीधे कहा कि ये भाजपा और विपक्ष के बीच की लड़ाई नहीं बल्कि देश की आवाज के लिए लड़ाई है। इसलिए गठबंधन का नाम इंडिया चुना है। इस मौके पर ममता बनर्जी ने यहां तक कह दिया कि अब रियल चैलेंज षुरू हुआ है। हम देश के संस्थानों पर हो रहे चोट को लेकर एकजुट हैं। बौद्धिक आजादी को लेकर एक हुए हैं। वसुधैव कुटुंबकम को लेकर एक हुए हैं। इंडिया को लेकर एक हुए हैं।

पीएम ने एनडीए को बताया ‘इंद्रधनुष’

बात करें एनडीए की तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को क्षेत्रीय आकांक्षाओं का ऐसा खूबसूरत ‘इंद्रधनुष’ करार दिया जो देशवासियों के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि इसके मुकाबले के लिए बना विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव एलायंस (इंडिया)’ मजबूरी का गठबंधन है, जो भ्रष्टाचार और परिवारवाद की नीति पर आधारित है। राजधानी दिल्ली के एक पंचसितारा होटल में मंगलवार को राजग के 39 घटक दलों की एक बैठक के बाद उसके नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जब गठबंधन जातिवाद और क्षेत्रवाद को ध्यान में रखकर किया गया हो तो वह देश का बहुत नुकसान करता है।

बोले मोदी-भारत के लोगों को भरोसा राजग पर

विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए मोदी ने दावा किया कि भारत के लोगों का भरोसा राजग पर है। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद राजग की सरकार बनने का दावा किया और कहा कि इसके बाद भारत की अर्थव्यवस्था का दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंचना तय है। राजग देश के लिए, देश के लोगों के लिए समर्पित है। इसकी विचारधारा राष्ट्र सर्वप्रथम, देश की सुरक्षा और उसकी प्रगति और लोगों का सशक्तीकरण सर्वप्रथम है।

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नकारात्मकता के साथ बना गठबंधन सफल नहीं हो सकता: मोदी

एनडीए की बैठक में एक बात जो देखने की मिली वो यह है कि कभी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे नेताओं पर प्रधानमंत्री प्रहार करते रहे। अब एनडीए में शामिल होते ही कैसे राष्ट्रभक्त होने के साथ पाक साफ हो गये इसकी झलकियां लोगों ने देखी। इस मौके पर पूरे जोश के साथ प्रधानमंत्री ने कहा कि जो भी गठबंधन ‘नकारात्मकता’ के साथ बनता है, वह कभी सफल नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का गठन देश में राजनीतिक स्थिरता लाने के लिए हुआ है।

इस तरह के गठबंधन से देश का नुक़सान

प्रधानमंत्री ने कहा जब गठबंधन सत्ता की मजबूरी का, भ्रष्टाचार की नीयत से, परिवारवाद की नीति पर आधारित, जातिवाद और क्षेत्रवाद को ध्यान में रखकर किया गया हो तो ऐसा गठबंधन देश का बहुत नुकसान करता है। अब यहां लोगों को तय करना है कि कौन सत्य बोल रहा है और कौन असत्य।

क्या कांग्रेस के पैटर्न पर चल रही भाजपा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में राजनीतिक गठबंधनों की एक लंबी परंपरा रही है, लेकिन जो भी गठबंधन नकारात्मकता के साथ बने वह कभी भी सफल नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 90 के दशक में देश में अस्थिरता लाने के लिए गठबंधनों का इस्तेमाल किया तथा कांग्रेस ने ‘सरकारें बनाईं और सरकारें बिगाड़ीं’। यहां गौर करने वाली बात यह है कि जो बात प्रधानमंत्री अब बोल रहे हैं। उसका परिणाम कांग्रेस भुगत चुकी और आज की बीजेपी सरकार उसी पैटर्न पर आगे बढ़ रही है।

दूल्हा तय नहीं हुआ, फूफा लोग पहले ही हो गए नाराज

बेंगलुरु में मंगलवार को विपक्षी दलों की दूसरी बड़ी बैठक हुई। इसमें कई अहम फैसले लिए गए, लेकिन बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बिहार के सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव नहीं दिखे। बताया गया कि उन्हें फ्लाइट के लिए देर हो रही थी। हालांकि, वे अपने चार्टर्ड प्लेन से गये थे।ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि जब वे चार्टर प्लेन से गये थे तो फिर उन्हें फ्लाइट में देरी कैसे हो सकती है। दूसरी ओर संवाददाता सम्मेलन से इनके गायब रहने पर सवाल उठने लगे हैं। अहम सवाल है कि क्या विपक्षी एकता के सूत्रधार रहे नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव नाराज हो गये हैं।

हालांकि, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने नीतीश की नाराजगी की खबरों पर कहा है कि इस तरह बातें बिल्कुल गलत है। अभी कुछ तय नहीं हुआ है। मुंबई की बैठक में संयोजक का नाम तय होगा। वहीं भाजपा को मौका जरूर मिल गया है। भाजपा नेताओं ने ट्वीट करके नीतीश को निशाने पर ले लिया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने ट्वीट कर कहा- सुने हैं बिहार के महाठगबंधन के बड़े-बड़े भूपति बेंगलुरु से पहले ही निकल आए। दूल्हा तय नहीं हुआ, फूफा लोग पहले ही नाराज हो रहे।

नीतीश को लेकर ली जा रही चुटकी

वहीं प्रेस कांफ्रेंस में नीतीश कुमार के शामिल नहीं होने पर बिहार के नेताओं ने चुटकी ली है। राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर पूछा- नीतीश और लालू प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिना भाग लिए क्यों निकल गए? संयोजक नहीं बनाने से कहीं नाराज तो नहीं? सुशील मोदी ने कहा कि बेंगलुरु में नीतीश कुमार के नाम से ज्यादा पोस्टर नहीं लगे हुए थे। जो पोस्टर थे उसमें भी उन्हें पीछे भेज दिया गया था। इसके कारण वे कहीं न कही नाराज होकर निकल गये होंगे।

संयोजक के नाम पर नहीं बनी सहमति

23 जून को पटना में विपक्षी एकता की पहली बैठक हुई थी। इसमें तय किया गया था कि अगली बैठक कांग्रेस के नेतृत्व में होगी। इसमें गठबंधन का नाम, संयोजक और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के साथ सीट बंटवारे के फॉर्मूले की घोषणा की जाएगी, लेकिन बेंगलुरु मे हुई बैठक में सिर्फ गठबंधन के नाम की घोषणा हुई। न तो संयोजक के नाम पर सहमति बन पाई और न ही सीट फॉर्मूले पर कोई बात बनी। इसके लिए अब अगली बैठक मुंबई में होगी। चर्चा इस बात की भी है कि नीतीश को ये रास नहीं आया। वहीं, कई मीडिया चैनलों का ये भी मानना है कि नीतीश को महागठबंधन का नाम सही नहीं लगा।

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नीतीश- लालू का नाराज होना इंडिया के लिए ठीक नहीं

नीतीश और लालू का नाराज होना केंद्र के खिलाफ बन रहे गठबंधन के लिए अच्छे संकेत नहीं है। इसका असर बिहार में गठबंधन सरकार पर भी पड़ेगा। ये दोनों हो वे शख्स हैं, जब गठबंधन का कहीं कोई जिक्र नहीं था तब उन्होंने ही इसका जिक्र किया था। इन्होंने न केवल इसका स्वरूप तैयार किया बल्कि एक छाते के नीचे देशभर के क्षेत्रीय पार्टियों को लाया। अगर सूत्रधार ही हट जाएंगे तो इसका देश के मतदाता और पार्टियों के बीच गलत संदेश जाएगा। इसका सीधा फायदा एनडीए गठबंधन और नरेंद्र मोदी को मिलेगा। बिहार में कांग्रेस सरकार से भी बाहर हो सकती है और लोकसभा का मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा।

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केंद्र सरकार ने आज बुलायी सर्वदलीय बैठक, 20 जुलाई से षुरू होगा मानसून सत्र

सत्ता पक्ष व विपक्ष के राजनीतिक तापमान गर्म होने के साथ ही आपस की तल्खी को कुछ हद तक कम करने के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलायी है। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही सरकार के वरिष्ठ मंत्री व विपक्षी दलों के सभी वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे। 20 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र से पूर्व यह एक औपचारिक बैठक है।

पूर्व में यह सर्वदलीय बैठक राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को ही बुलाई थी, लेकिन विपक्ष की ओर से बेंगलुरु में आयोजित बैठक में शामिल होने के कारण अधिकांश पार्टियों ने सर्वदलीय बैठक में शामिल होने में अपनी अनुपलब्धता की बात कही थी। इसके बाद इसे टाल कर बुधवार कर दिया गया। इस बार का मानसून सत्र हंगामेदार होने की संभावना है। आगामी लोकसभा चुनाव व कुछ बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्ष मानसून सत्र में महंगाई, मणिपुर, यूसीसी जैसे मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में है।

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