केरल : केरल में प्लास्टिक कचरा बीनने वाली महिलाओं ने कमाल कर दिया है। इन महिलाएं ने एक दो लाख नहीं पूरे के पूरे 10 करोड़ रुपये का जैकपॉट जीत कमाल कर दिया है। इसकी खबर मिलते ही इन महिलाओं की खुशी देखते बन रही है। अब इनके गरीबी के दिन लद चुके हैं, अब ये महिलाएं करोड़पति बन चुकी हैं। चलिए हम बताते हैं इन महिलाओं ने कैसे किया यह कमाल….
स्थानीय नगर पालिका की प्लास्टिक कचरा बीनने वाली इकाई में काम कर रही ग्यारह महिला कामगारों ने कभी सपने में भी यह उम्मीद नहीं कि थी जिस लॉटरी टिकट को उनमें से प्रत्येक ने 25 रूपये से भी कम में खरीदा था, वह उन्हें 10 करोड़ रुपये का जैकपॉट दिलवा देगी। इन 11 महिलाओं ने कुल 250 रूपये देकर लॉटरी का टिकट खरीदा था। बुधवार को जब यह खबर आई तो उस समय ये 11 महिलाएं अपने हरे ओवरकोट और रबर के दस्ताने पहने हुए थीं और परप्पनंगडी नगरपालिका गोदाम में घरों से एकत्र प्लास्टिक कचरे को अलग कर रही थीं।
विजेता की घोषणा होते ही मिलने लगी बधाईयां
केरल लॉटरी विभाग ने घोषणा की है कि महिलाओं द्वारा पैसे इकट्ठा करने के बाद खरीदे गये टिकट पर उन्हें मॉनसून बंपर के रूप में 10 करोड़ रुपये का पुरस्कार दिया जायेगा। इन महिलाओं के पास इतनी सामर्थ्य नहीं थी कि उनमें से कोई अकेले ही 250 रूपये का लॉटरी का टिकट खरीद सके। लॉटरी विजेताओं से मिलने और उन्हें बधाई देने के लिए गुरुवार को बड़ी संख्या में लोग यहां नगर निगम गोदाम परिसर में उमड़ पड़े।
विजेताओं में से एक राधा नाम की महिला ने बताया कि जब हमें लॉटरी निकलने के बारे में पता चला कि हमने जैकपॉट हासिल कर लिया है तो हमारे उत्साह और खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। हम सभी जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और यह पैसा कुछ हद तक हमारी समस्याओं को हल करने में मदद करेगा।
मानसून बंपर टिकट ने बदला भाग्य, किस्मत ने खोले नए दरवाजें
परप्पनंगडी नगर पालिका द्वारा शुरू की गयी हरित पहल- हरित कर्म सेना के तहत कार्यरत इन महिलाओं को उनके काम के अनुसार 7,500 रुपये से 14,000 रुपये के बीच वेतन मिलता है। हरित कर्म सेना घरों और प्रतिष्ठानों से निकलने वाले कचरे को इकट्ठा करती हैं जिसे बाद में रीसाइकल करने के लिए विभिन्न इकाइयों में भेजा जाता है। नगर पालिका में हरित कर्म सेना की अध्यक्ष शीजा ने कहा कि भाग्य ने इस बार सबसे योग्य लोगों पर कृपा की है। उन्होंने कहा कि सभी पुरस्कार विजेता बहुत मेहनती हैं और अपने परिवार के भरण-पोषण करती हैं।
इन महिलाओं ने बताया कि कई लोगों को कर्ज चुकाना है, बेटियों की शादी करनी है या अपने प्रियजनों के इलाज का खर्च उठाना है। उन्होंने कहा कि वे सब बहुत ही साधारण घरों में रहती हैं और जीवन की कठोर वास्तविकताओं से जूझ रही हैं। दिलचस्प बात है कि यह दूसरी बार है जब महिलाओं ने टिकट खरीदने के लिए आपस में पैसे जुटाये थे। विजेताओं में से एक महिला ने कहा कि हमने पिछले साल भी इसी तरह पैसा इकट्ठा करने के बाद ओणम बंपर खरीदा था और 7,500 रुपये जीते थे। हमने राशि को आपस में बराबर-बराबर बांट लिया था। इससे हमें इस साल मॉनसून बंपर टिकट खरीदने का हौसला मिला।
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