नई दिल्ली : देश के विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले सप्ताह के दौरान गिरावट आई है। इसमें 1.9 अरब डॉलर की कमी आई है और विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 607.03 बिलियन डॉलर हो गया है।
देश के केंद्रीय बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर एक आंकड़ा जारी किया है, इसके मुताबिक 21 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 1.9 अरब डॉलर की गिरावट आई है।
इस गिरावट के बाद देश का विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी मुद्रा भंडार 607.03 डॉलर पर आ गया है। इससे पहले 14 जुलाई को विदेशी मुद्रा भंडार 12.74 अरब डॉलर बढ़ गया था। यह चार महीनों में सबसे बड़ी छलांग थी।
विदेशी मुद्रा भंडार क्या होता है?
विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक में रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सके। विदेशी मुद्रा भंडार को एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखा जाता है।
अमेरिकी डॉलर और बहुत बार यूरोपियन मुद्रा यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है। कुल मिलाकर विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी बैंक नोट, विदेशी बैंक जमा, विदेशी ट्रेजरी बिल और अल्पकालिक और दीर्घकालिक विदेशी सरकारी प्रतिभूतियां सम्मिलित होनी चाहिए। हालांकि, सोने के भंडार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा राशि भी विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होती है।
जानें, विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में भारत किस स्थान पर
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार बन गया है। भारत रूस को पछाड़कर इस पायदान पर पहुंचा है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5 मार्च को 4.3 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 580.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। वहीं रूस का भंडार 580.1 अरब (बिलियन) डॉलर पर आ गया।
आरबीआई ने जारी किए आंकड़े
आरबीआई की ओर से जारी किए गए आंकड़े के अनुसार, विदेशी मुद्रा संपत्ति (FCA) 2.41 अरब डॉलर घटकर 537.75 अरब डॉलर रह गई। डॉलर के मुकाबले एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं का प्रभाव देखा गया है। इसी तरह, गोल्ड रिजर्व 417 मिलियन डॉलर बढ़कर 45.61 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि एसडीआर 11 मिलियन डॉलर घटकर 18.47 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है।
कभी 645 अरब डॉलर पर पहुंचा था विदेशी मुद्रा भंडार
आईएमएफ में रिजर्व की गई मुद्रा 21 मिलियन डॉलर बढ़कर 5.2 बिलियन डॉलर हो गई है। गौरतलब है कि अक्टूबर 2021 में देश की विदेशी मुद्रा 645 अरब अमेरिकी डॉलर के हाई लेवल पर थी। वहीं बाद में ग्लोबल डेवलपमेंट के कारण बने दबावों के बीच केंद्रीय बैंक की ओर से रुपये की रक्षा के लिए धन जुटाने के कारण भंडार में गिरावट आ रही है, क्योंकि रुपये की गिरावट को रोकने के लिए डॉलर को बेचा गया है।
रुपये में आई गिरावट
डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार (28 जुलाई, 2023) को 31 पैसे की गिरकर 82.23 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। वहीं अमेरिकी मुद्रा में तेजी देखी जा रही है। रुपये में गिरावट की वजह विदेशी फंडों की भारी निकासी और शेयर बाजारों में नरमी कही जा रही है।
गौरतलब है कि आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजारों पर बारीकी से नजर रखता है और किसी पूर्व-निर्धारित लक्ष्य स्तर या बैंड के संदर्भ के बिना, विनिमय दर में अत्यधिक अस्थिरता को नियंत्रित करके केवल व्यवस्थित बाजार स्थितियों को बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप करता है।
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