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35 रुपए में काम करने वाले नाना पाटेकर कैसे बने रुपहले पर्दे के स्टार, जानिए संघर्ष से सफलता तक का सफर

by Rakesh Pandey
नाना पाटेकर कैसे बने रुपहले पर्दे के स्टार
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नाना पाटेकर आज यह नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। नाना पाटेकर बॉलीवुड के बहुत ही मशहूर अभिनेता है। इन्होंने अपने करियर में बहुत सी बॉलीवुड फिल्मों में काम किया है तथा अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। फिल्मों की दुनिया में यह माना जाता है कि गुड लुक्स सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है तभी आप अपने बॉलीवुड करियर में ऊंचाइयां छू सकते हैं।

लेकिन नाना पाटेकर ने इस अवधारणा का खंडन किया तथा लुक्स से ज्यादा इन्होंने अपने अभिनय और दमदार आवाज से सबका दिल जीत लिया। अंकुश, प्रहार क्रांतिवीर, यशवंत जैसी फिल्मों ने उनकी एक अलग ही पहचान बनाई। इन फिल्मों में उनके किरदार में एक अलग ही तरह का आक्रोश और क्रांति नजर आई।

नाना पाटेकर का प्रारंभिक जीवन

नाना पाटेकर का जन्म 1 जनवरी 1951 में हुआ था। बचपन गरीबी में गुजरा। पिताजी का बिजनेस बंद हो गया था और नाना को बचपन से ही बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। घर की रोजी-रोटी कमाने के लिए नाना ने जेब्रा क्रॉसिंग और फिल्म के पोस्टर्स तक पेंट किए। वह एक जगह पार्ट टाइम जॉब किया करते थे जहां उन्हें एक दिन में ₹35 मिल जाते थे।

विवाह के बाद किया थिएटर का रुख

1978 में नीलकांति पाटेकर से विवाह करने के बाद नाना ने थिएटर की ओर रुख किया, और उनकी मेहनत रंग लाई और फिल्मी जगत के लिए उनका रास्ता खुला। उनकी पहली फिल्म “गमन” थी उसके बाद उन्होंने पलट कर नहीं देखा, पिछले चार दशक से उनका सिक्का बॉलीवुड में कायम है।

लगातार परिश्रम से बनाई अपनी अलग पहचान

नाना पाटेकर जी बहुत ही परिश्रमी थे। एक बार उन्होंने प्रहार फिल्म के लिए 3 साल तक आर्मी ट्रेनिंग भी ली थी जिसके लिए उन्हें कप्तान की रैंक भी मिली थी। नाना खाने के बेहद शौकीन है और यह अलग-अलग तरीके के व्यंजन बनाना भी पसंद करते हैं। हालांकि नाना एक किसान भी है, और स्वयं फार्मिंग करना भी पसंद करते हैं। वे अपने खेत में गेहूं और चावल भी उगाते हैं। महाराष्ट्र में नाना ने किसानों की मदद के लिए बहुत कुछ किया है और वहां के किसान भी नाना का बहुत सम्मान करते हैं। नाना की अपनी खेती से जो भी कमाई होती है वह सारे पैसे वह गरीब किसानों की मदद के लिए दे देते हैं।

नाना पाटेकर की फिल्में

फिल्मों की बात करें तो नाना ने हर तरह के किरदार निभाए हैं फिर चाहे वह संजीदा किरदार हो, रोमांस या फिर नेगेटिव रोल ही क्यों ना हो नाना ने बखूबी हर किरदार को निभाया है तथा उनके हर किरदार लोगों की जेहन में बैठ चुके हैं।

“परिंदा” (1989): इस फ़िल्म में नाना पाटेकर ने एक बेहद प्रशंसित भूमिका निभाई और उन्होंने इसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता।

“अग्निसाक्षी” (1996): इस फ़िल्म में नाना पाटेकर ने एक बड़े पैमाने पर अद्भुत अभिनय किया और उन्होंने इसके लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी जीता।

“प्रकाश्त्री” (2009): इस फ़िल्म में नाना पाटेकर ने एक खुदाईकार की भूमिका निभाई और उनका अभिनय काबिले तारीफ़ था।

“कृपण” (2018): इस फ़िल्म में वे एक खुदाईकार के किरदार में नजर आए और उनका अभिनय फ़िल्म को काफ़ी प्रशंसा मिली।

“अब तक छप्पन” (1994): इस फ़िल्म में वे मुम्बई के अंडरवर्ल्ड डॉन के किरदार में नजर आए और उनका अभिनय बहुत प्रशंसा प्राप्त किया।

नाना को अपने दमदार अभिनय के लिए कई फिल्मी अवॉर्ड भी मिल चुके हैं जिसमें कई नेशनल अवॉर्ड फिल्मफेयर अवार्ड भी शामिल है। नाना को पद्मश्री अवार्ड से भी नवाजा गया है।

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