सेंट्रल डेस्क। Acharya Vidyasagar Maharaj: जैन समाज के आचार्य विद्यासागर महाराज ने 17 फरवरी की रात देह त्याग दी। 18 फरवरी को विधि-विधान से पूजन के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया। आचार्य के अंतिम दर्शन के लिए छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में जैन समाज सहित अन्य समुदाय से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने डोंगरगढ़ के चन्द्रगिरि तीर्थ में 3 दिन पहले आचार्य पद का त्याग कर उपवास और मौन व्रत धारण कर लिया था। आचार्य विद्यासागर महाराज ने ‘सल्लेखना’ के बाद अंतिम सांस ली।
‘सल्लेखना’ क्या है
‘सल्लेखना’ एक जैन धार्मिक प्रथा है। जिसमें देह त्याग करने के लिए स्वेच्छा से अन्न-जल छोड़ दिया जाता है। जैन संत और आचार्य ‘सल्लेखना’ के जरिए शरीर त्याग करते है।
Acharya Vidyasagar Maharaj कौन है?
आचार्य विद्यासागर महाराज दिगंबर जैन आचार्य हैं। 10 अक्टूबर, 1946 को कर्नाटक के सदलगा में जन्मे, उन्होंने छोटी उम्र से ही आध्यात्मिकता को अपना लिया और 21 साल की उम्र में राजस्थान के अजमेर में दीक्षा लेने के लिए सांसारिक जीवन त्याग दिया था। आचार्य विघासागर को संस्कृत, प्राकृत और कई आधुनिक भाषाओं में उनकी महारत ने उन्हें कई व्यावहारिक कविताएं और आध्यात्मिक ग्रंथ लिखने में सक्षम बनाया था। उन्होंने काव्य मूक माटी की भी रचना की थी। जिसको कई संस्थानों में पोस्ट ग्रेजुएशन के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है। आचार्य विद्यासागर कई धार्मिक कार्यों में लोगों के लिए प्रेरणास्रोत भी रहे थे।
पीएम मोदी ने जताया शोक
पीएम पीएम ने कहा कि मुझे वर्षों तक उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का गौरव प्राप्त हुआ। मैं पिछले साल के अंत में छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में चंद्रगिरि जैन मंदिर की अपनी यात्रा को कभी नहीं भूल सकता। उस समय मैंने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के साथ समय बिताया था और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया था। वहीं, बीजेपी के बैठक में जेपी नड्डा ने भी शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी।
Acharya Vidyasagar- 500 से अधिक मुनियों को दी दीक्षा
विद्यासागर के पिता का नाम मल्लप्पाजी अष्टगे और माता का नाम श्रीमती अष्टगे था। घर पर विद्यासागर को सब नीलू के नाम से बुलाते थे। बता दें कि आचार्य विद्यासागर महाराज अबतक 500 से अधिक मुनियों को दीक्षा दे चुके थे।
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