हेल्थ डेस्क, नई दिल्ली : मोहम्मद अफसर 45 वर्ष के हैं। पिछले एक साल से उन्हें खाने के बाद छाती में जलन, पेट भरा रहने की शिकायत महसूस हो रही है। जब ये चिकित्सक के पास पहुंचे तो पता चला कि इन्हें एसिडिटी की समस्या है। इसके बाद जब उनकी काउंसलिंग की गई तो पता चला कि उनका जीवनशैली पूरी तरह से बदली हुई है।
धूम्रपान करना, सप्ताह में दो तीन बार शराब पीना, अधिक तेल मसालेदार चीजों का खाना और अत्यधिक तनाव पाया गया। इसी तरह, 34 साल की अंजली कुमारी बार बार पेट में दर्द, गले में खराश, सीने में जलन, भूख नही लगने और मुंह में खट्टा पानी आने से परेशान रहती हैं। यह भी एसिडिटी का लक्षण है। जब चिकित्सक के पास पहुंची तो बीमारी की पुष्टि हुई। इसके बाद उनका काउंसलिंग भी किया गया, जिसमें अत्यधिक तेल युक्त भोजन, वजन बढ़ना और व्यायाम नहीं करना पाया गया।
तीसरा मरीज रिटायर्ड शिक्षक 64 वर्षीय महेंद्र मुर्मू हैं। रिटायरमेंट के बाद से ही इन्हें खट्टी डकार, गैस और अपच की शिकायत है। जब इनका काउंसलिंग किया गया तो पता चला कि ये भोजन अत्यधिक करते हैं। जबकि इस उम्र में निर्धारित भोजन ही करना चाहिए। इसके बाद ये बार-बार चाय पीते हैं। रोज खाना देर से खाते हैं। खाने के बाद तुरंत सो जाते हैं। यह तीन उदाहरण पढ़ने के बाद आपको समझ में आ गया होगा कि एसिडिटी की समस्याएं क्यों बढ़ रहा है।
झारखंड के जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजन कुमार बरनवाल कहते हैं कि 100 में तीन मरीज एसिडिटी, गैस और बदहजमी आदि की शिकायत लेकर आ रहे हैं। Gastroesophageal Reflux Disease (GERD) इन सभी समस्याओं के पीछे एक प्रमुख वजह है। Gastroesophageal Reflux Disease एक जीवनशैली की बीमारी है।
देश में 28.5 प्रतिशत लोग GERD से जूझ रहे हैं
इंडियन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में छपे एक अध्ययन के अनुसार, भारत में GERD की समस्या करीब 5 प्रतिशत से 28.5 प्रतिशत लोगों में हैं। भारत में GERD की समस्या ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है। यह समस्या सभी आयु समूहों में होती है, लेकिन वयस्कों में अधिक देखी जा रही है।
GERD की बढ़ती समस्या का कारण
– अधिक मसालेदार खाने, चिप्स, कोला पेय, और अत्यधिक मांसाहार आदि अपनाने से GERD में वृद्धि हुई है।
– भारत में बढ़ते मोटापे के साथ GERD होने के जोखिम में बढ़ोतरी हुई है। अतिरिक्त वजन पेट में दबाव डाल सकता है और पेट की एसिड की रिफ्लक्स का कारण बन सकता है।
– शारीरिक गतिविधि की कमी और निष्क्रिय जीवनशैली GERD के बढ़ते रुझान का कारण हैं। भारत में शहरीकरण के कारण शारीरिक गतिविधि के स्तरों में गिरावट हुआ हैं।
– तंबाकू व धूम्रपान करने और शराब का सेवन करने से GERD होने का जोखिम बढ़ जाता है।
– बढ़ते हुए तनाव स्तरों का जीवनशैली पर प्रभाव होता है, जिसके कारण खाने की आदतों में परिवर्तन, खाने का अधिक सेवन और अनियमित भोजन समय आदि कारणों से GERD के लक्षणों को उत्पन्न कर सकता है।
इसे अपने दिनचर्या में करें शामिल
– भोजन के 30 मिनट के भीतर सोने से बचें।
– शराब, तंबाकू से बचें।
– पेट भर कर खाना न खाएं।
– तली हुई, मसालेदार और तेलयुक्त खाद्य पदार्थों से बचें।
– वजन घटाने की कोशिश करें।
ठीक हो जाता एसिडिटी
डॉ. राजन कुमार बरनवाल कहते हैं कि GERD की समस्या आजकल काफी लोगों में देखने को मिलती है। ऐसे लोगों को अपने जीवन में बदलाव करना चाहिए। रात में खाना खाने और सोने के बीच 1.5 से 2 घंटे का अंतर रखना चाहिए। रोजाना व्यायाम और योग करना चाहिए। अगर जीवनशैली में बदलाव से आराम न हो तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉ. राजन कुमार बरनवाल कहते हैं कि एसिडिटी पूरी तरह से ठीक हो जाता है। शुरुआती दौर में कुछ दवा खानी होती है। इसके बाद अगर, व्यक्ति अपना जीवनशैली ठीक कर ले तो यह बीमारी दोबारा देखने को नहीं मिलेगी।