मुंबई: हिंदी फिल्मों की दिग्गज अभिनेत्री वहीदा रहमान को दादासाहेब फाल्के अवार्ड से नवाजा जाएगा। सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को यह घोषणा की। 90 से अधिक फिल्मों में काम करने वाली वहीदा रहमान को इससे पहले पद्म श्री और पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। उन्होंने कई सुपर हिट फिल्मे दी हैं ।
वहीदा रहमान ने हिन्दी फिल्मों के साथ तमिल, तेलगू और बंगाली फिल्मों में अभिनय किया है। 1950 से करीब तीन दशकों तक उन्होंने फिल्मों के जरिये शोहरत हासिल की।
अगर सम्मान की बात करें तो वहीदा रहमान को फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए 2 बार फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला था। मालूम हो कि दादासाहेब फाल्के पुरस्कार फिल्म जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है।
वहीदा रहमान की कुछ मशहूर फिल्में इस प्रकार हैं:
वहीदा की हिन्दी फिल्म में कैरियर की शुरुआत CID (1956) हुई थी। इसके बाद फिल्म अभिनेत्री के तौर पर वहीदा रहमान को प्यासा (1957), 12 ओक्लॉक (1958)में काम किया। लेकिन कागज के फूल (1959) और उसके बाद साहिब बीवी और गुलाम और चौदहवीं का चांद (1961) जैसी सुपरहिट फिल्मों से उनका करियर लगातार बुलंदियों पर पहुंचा। इसके बाद एक रात की (1962), बीस साल बाद (1962), कोहरा (1964) में भी उनके अभिनय को सराहा गया। देवानंद के साथ उनकी जोड़ी लोगों को खूब पसंद आयी है। यही वजह रही कि उन्होंने एक साथ गाइड (1965), और फिर मुझे जीने दो (1963) के बाद राज कपूर की तीसरी कसम (1966), नील कमल (1968) और खामोशी (1969) जैसी कई फिल्में कीं।
8वीं महिला कलाकार होंगी जिन्हें मिलेगा यह अवॉर्ड
54 साल के इतिहास में अब तक यह अवॉर्ड सिर्फ 7 ही महिलाओं को दिया गया है। सबसे पहला दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड 1969 में एक्ट्रेस देविका रानी को दिया गया था। इसके बाद रूबी मेयर्स (सुलोचना), कानन देवी, दुर्गा खोटे, लता मंगेशकर और आशा भोंसले को इस अवॉर्ड से नवाजा गया। 2020 में यह अवॉर्ड वेटरन एक्ट्रेस आशा पारेख को दिया गया था।
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जानिए दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड के बारे में:
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा उद्योग में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। इसे देने की शुरुआत 1969 में हुई थी। इसका नाम ‘भारतीय सिनेमा के जनक’ कहे जाने वाले धुंडीराज गोविंद फाल्के के नाम पर रखा गया है, जिन्हें प्यार से दादासाहेब फाल्के बुलाया जाता था। दादासाहेब ने ही वर्ष 1913 में भारत की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ प्रस्तुत की थी।