सेंट्रल डेस्क। दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी बेहद सजग है। बीते चुनावों में मिली हार के बाद से राहुल गांधी किसी भी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं दिख रहे है। इसलिए अपनी ही पार्टी के नेताओं में जब वैसी ऊर्जा नहीं दिख रही है, तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने स्थानीय नेताओं के साथ एक बैठक की है। ऑनलाइन हुई इस मीटिंग में राहुल और प्रियंका ने जो तय किया, इसको लेकर अब खूब चर्चा हो रही है।
मीटिंग में किस बात पर जोर डाला गया
दिल्ली में 22 जनवरी से राहुल गांधी की जनसभाएं शुरू होने वाली हैं। इससे पहले राहुल ने 13 जनवरी को सीलमपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित किया था। इसके बाद से उन्होंने कोई मीटिंग या जनसभा नहीं की। स्थानीय नेताओं के साथ हुई बैठक में ये सवाल उठा कि अलग-अलग राज्य और वर्गों से आने वाले नेताओं की दिल्ली में सभा क्यों नहीं हो रही है? चुनाव प्रचार के लिए राहुल और प्रियंका पर निर्भरता कितनी सही है?
इसके अलावा मीटिंग में इस बात पर भी जोर दिया गया कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी के खिलाफ कांग्रेस का जिस तरह के तेवर होने चाहिए, वो अभी तक पार्टी के कैंपेन में दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि यह मीटिंग कुछ मिनटों तक ही चली। बैठक में सभी कांग्रेसी नेताओं को एग्रेसिवली चुनावी रैलियां करने को कहा गया।
बैठक में कौन-कौन रहा शामिल
कांग्रेस की इस रणनीतिक मीटिंग में कांग्रेस के दिल्ली इंचार्ज काजी निजामुद्दीन, प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव और दिल्ली के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन भी मौजूद रहे। इस मीटिंग में कांग्रेस हाईकमान ने स्थानीय नेताओं से कांग्रेस की पांच गारंटियों को लोगों तक पहुंचाने का रास्ता ढूंढने के लिए कहा। खासतौर पर महिलाओं और युवाओं के लिए जिन योजनाओं की घोषणा की गई है, उस पर कांग्रेस को बेहद भरोसा है कि ये घोषणाएं कांग्रेस को दिल्ली में वोट दिलवा सकती है।
राहुल गांधी की आगामी रैलियों से पार्टी को उम्मीद
दिल्ली में इस हफ्ते से राहुल गांधी की बैक टू बैक कई रैलियां शुरू होने जा रही हैं। इन रैलियों के जरिए कांग्रेस अपने पारंपरिक वोट बैंक को दोबारा हासिल करने की कोशिश करेगी। 22 जनवरी को सदर बाजार में राहुल गांधी की जनसभा होनी है। बता दें कि सदर बाजार में मुस्लिम वोटरों के साथ दलित और ब्राह्मण वोटों का गठजोड़ है। 23 जनवरी को मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद में राहुल गांधी की रैली है। इसके बाद 24 जनवरी को मोदीपुर विधानसभा सीट में, जिसे पिछड़ी जाति के वोटरों के लिए सुरक्षित सीट माना जाता रहा है।