सेंट्रल डेस्क : 25 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है। जाहिर है जरूरी मुद्दों, बिल व विधेयक के साथ-साथ आरोपों का दौर भी शुरू होगा। इसी कड़ी में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के सत्र से पहले विपक्षियों को आड़े हाथों लेते हुए जमकर सुनाया।
लोग अपना राजनीतिक स्वार्थ साध रहे हैं
संसद परिसर से देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जिन्हें जनता 80 बार नकार चुकी है, वो संसद का काम रोकते हैं। दुर्भाग्य से कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए संसद को कंट्रोल करने की कोशिश की है। आगे पीएम ने कहा कि शीतकालीन सत्र है और माहौल भी शीत ही रहेगा। 2024 का यह अंतिम कालखंड चल रहा है। देश पूरे उमंग और उत्साह के साथ 2025 के स्वागत की तैयारी में भी लगा हुआ है।
संसद का यह शीतकलीन सत्र कई मायनों में विशेष माना जा रहा है। सबसे बड़ी बात हमारे संविधान की यात्रा का 75वें साल में प्रवेश होना है। ये अपने आप में लोकतंत्र के लिए एक बड़ा उज्जवल अवसर है। पीएम के इस बयान को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की हार से जोड़कर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि पीएम का यह वार राहुल गांधी पर पलटवार है।
पार्लियामेंट में हो स्वस्थ चर्चा
20 दिसंबर तक चलने वाले इस शीतकालीन सत्र की चर्चा करते हुए पीएम ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने संविधान का निर्माण करते समय एक-एक बिंदु पर विस्तार से बहस की। तब जाकर यह हमें प्राप्त हुआ। संसद इसकी महत्वपूर्ण इकाई है। इसलिए संसद में स्वस्थ चर्चा होनी चाहिए। अधिक से अधिक लोगों को चर्चा में योगदान देना चाहिए।
नए सांसदों को बोलने का मौका नहीं मिलता
चुनिंदा सांसदों पर कटाक्ष करते हुए पीएम ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए संसद को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं। जिन्हें जनता ने अस्वीकार किया, वो मुट्ठीभर लोग भी हुड़दंगबाजी करके संसद को कंट्रोल करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। लेकिन जब समय आता है, तब देश की जनता सजा भी देती है। पीड़ा इस बात की है कि जो नए सांसद हैं, चाहे वो किसी भी पार्टी के हों, उन्हें बोलने का मौका ही नहीं मिल पाता है।
16 विधेयकों पर होगी चर्चा
बता दें कि आज के सत्र में कुल 5 नए विधेयक पेश होंगे। इसके साथ ही 11 अन्य विधेयकों को चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया है, जिसमें वक्फ बोर्ड का भी मामला शामिल है। अर्थात् कुल 16 विधेयकों को सरकार पारित करने का प्रयास कर सकती है। हालांकि एक बात तो साफ है कि सत्र में हंगामे भरपूर हो सकते हैं।