पलामूः नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित एके सिंह कॉलेज, जपला एक बार फिर विवादों में है। कॉलेज में प्रिंसिपल की नियुक्ति को लेकर सचिव और कुलपति आमने-सामने आ गए हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह ने 18 जुलाई को आनंद कुमार को कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त किया। उन्होंने आदेश जारी कर कहा कि यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी और इससे संबंधित आदेश कॉलेज प्रशासन को भेज दिया गया।
सचिव ने नियुक्ति पर जताई कड़ी आपत्ति, बताया नियमों का उल्लंघन
वहीं, कॉलेज के सचिव प्रफुल कुमार ने कुलपति को पत्र लिखकर इस नियुक्ति पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल की नियुक्ति का अधिकार गवर्निंग बॉडी के पास होता है और कुलपति का यह कदम उसके विशेषाधिकार का हनन है। सचिव ने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि नियुक्त किए गए प्राचार्य आनंद कुमार की शैक्षणिक योग्यता सिर्फ पोस्ट ग्रेजुएट (PG) है, जो प्रभारी प्राचार्य पद के लिए पर्याप्त नहीं मानी जाती। उन्होंने मामले पर निर्णय लेने के लिए 15 दिनों का समय मांगा और गवर्निंग बॉडी की बैठक बुलाने का सुझाव दिया।
कुलपति ने आपत्ति के बाद लिया बड़ा फैसला, गवर्निंग बॉडी भंग कर बनाई नई समिति
सचिव की आपत्ति के ठीक अगले दिन यानी 19 जुलाई को कुलपति ने एक बड़ा कदम उठाते हुए कॉलेज की गवर्निंग बॉडी को भंग कर दिया। भंग की गई गवर्निंग बॉडी में सांसद बीडी राम, हुसैनाबाद के एसडीओ रौनक, विश्वविद्यालय प्रतिनिधि और कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल शामिल थे।
इसके बाद कुलपति ने नई अस्थायी गवर्निंग बॉडी गठित की, जिसमें राजेंद्र प्रसाद, आरके झा और नवनियुक्त प्रिंसिपल आनंद कुमार को शामिल किया गया है।
विवाद और सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने कॉलेज में प्रशासनिक पारदर्शिता और नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सचिव का कहना है कि यह विषय संवेदनशील है और निर्णय केवल गवर्निंग बॉडी की बैठक में ही लिया जाना चाहिए था। वहीं कुलपति का फैसला दर्शाता है कि विश्वविद्यालय अब इस मामले में कोई देरी नहीं करना चाहता और जल्द से जल्द नेतृत्व स्थापित करना चाहता है।