Home » जाको राखे साइयां, मार सके न कोय: मथुरा में चमत्कार

जाको राखे साइयां, मार सके न कोय: मथुरा में चमत्कार

मध्य प्रदेश से मथुरा जा रही बच्ची इमरजेंसी खिड़की से ट्रेन से गिर गई। सूचना मिलते ही जीआरपी, आरपीएफ और रेलवे अधिकारियों ने अपनी टीम के सदस्यों को बच्ची को ढ़ूढ़ने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में बांट दिया। अंततः उनकी मेहनत रंग लाई और बच्ची ट्रैक के किनारे घायल अवस्था में मिल गई।

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

मथुरा: जाको राखे साइयां, मार सके न कोय यह कहावत सच साबित हुई जब मथुरा में एक 8 वर्षीय बच्ची चलती ट्रेन से गिरने के बाद भी बच गई। बच्ची अपने माता-पिता के साथ मध्य प्रदेश से मथुरा जा रही थी। यात्रा के दौरान खेलते-खेलते अचानक ट्रेन की इमरजेंसी विंडो से गिर नीचे गई। उस समय ट्रेन की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा थी।

घटना का विवरण

बच्ची के माता-पिता ने रात में हवा के लिए इमरजेंसी खिड़की खोली थी, जिससे वह गिर गई। उसके पिता को जब तक कुछ समझ में आता, तब तक ट्रेन लगभग 10-12 किलोमीटर आगे बढ़ चुकी थी। उन्होंने तुरंत ही जीआरपी और आरपीएफ को सूचना दी और ट्रेन को रोकने की कोशिश की।

बचाव कार्य की तत्परता

यूपी पुलिस के सिपाही सचिन कौशिक ने अपनी पोस्ट में बताया कि 16 किलोमीटर के क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। जीआरपी, आरपीएफ और रेलवे अधिकारियों की टीम ने बच्ची को खोजने के लिए क्षेत्र को बांट दिया। अंततः उनकी मेहनत रंग लाई और बच्ची ट्रैक के किनारे घायल अवस्था में मिल गई।

तत्काल चिकित्सा सहायता

जैसे ही बच्ची को मिली, वहां से एक मालगाड़ी गुजरी रही थी। रेलवे अधिकारियों की मदद से बच्ची को तुरंत अस्पताल ले जाने के लिए मालगाड़ी को रोका गया। ललितपुर पहुंचकर बच्ची का उपचार शुरू किया गया। डॉक्टरों ने बताया कि वह ठीक है, लेकिन उसके पैर में चोट आई है, जिसका इलाज चल रहा है।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

सचिन ने अपनी पोस्ट में पूरी टीम को धन्यवाद दिया। इस घटना ने सोशल मीडिया पर लोगों के बीच सकारात्मकता की लहर पैदा की। एक यूजर ने लिखा कि ऐसे समर्पित पुलिसकर्मियों और रेलवे अधिकारियों को नमन। एक अन्य ने कहा कि ऐसी खबरें अच्छाई और भगवान पर भरोसा मजबूत करती हैं।

पुलिस की मेहनत की सराहना

सचिन की पोस्ट पर अनेक लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। एक यूजर ने कहा कि पुलिस हर जरूरी कदम उठाती है। लोग कभी-कभी उनकी मेहनत को समझ नहीं पाते, लेकिन ऐसे घटनाक्रम उनकी प्रतिबद्धता को दिखाते हैं।

Read Also- कानून की पढ़ाई, हथियारों से दोस्ती, कॉलेज से ज्यादा काटे जेल के चक्कर, कौन है Lawrence Bishnoi?

Related Articles