हेल्थ डेस्क, नई दिल्ली/सभी डॉक्टर जेनेरिक दवाएं ही लिखें : राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के एक फैसले से देशभर के चिकित्सकों में हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल, इसका अंदाज किसी को नहीं था कि आयोग इतना सख्त कदम उठाएगा। हालांकि, इस फैसले से मरीजों को बड़ा लाभ मिलेगा। 70 से 80 प्रतिशत इलाज सस्ता हो जाएगा।
सभी डॉक्टर जेनेरिक दवाएं ही लिखें
अभी तक राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग चिकित्सकों को सिर्फ जेनेरिक दवा लिखने का निर्देश ही देते रही है लेकिन अब सख्त कदम उठाया है और कहा है कि सभी डॉक्टर जेनेरिकदवाएं ही लिखें। अगर वे इसमें आनाकानी करते हैं या फिर जेनेरिक दवा नहीं लिखते पकड़े गए तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
इस दौरान पहले चिकित्सकों को चेतावनी दी जाएगी लेकिन उसके बाद भी अगर वे नहीं माने तो उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया जाएगा। इस फैसले से चिकित्सकों में हड़कंप मचा हुआ है। अब देखना है कि आगे वे क्या फैसला लेते हैं।
बड़े अक्षरों में लिखनी होगी दवाओं का नाम
चिकित्सकों को बड़े अक्षरों में दवाइयों के नाम लिखने को लेकर लंबे समय से कहा जाता रहा है लेकिन अब नहीं चलने वाली है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं साफ व बड़े अक्षरों में लिखने को कहा है। यहां तक की पर्ची प्रिंटेड करने को कहा गया है ताकि गलतियों से बचा जा सकें।
एनएमसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि कई चिकित्सक जेनेरिक के नाम पर ब्रांडेड जेनेरिक दवाएं लिखते हैं लेकिन अब सिर्फ जेनेरिक लिखने को कहा गया है। एनएमसी के नए नियमों में दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख किया गया है जो पहले नहीं था।दवाओं पर होता अधिक खर्चएनएमसी द्वारा कहा गया है कि भारत सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा पर होने वाले व्यय का बड़ा हिस्सा दवाओं पर खर्च कर रहा है। जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले 70 से 80 प्रतिशत सस्ती होती हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इस कदम गरीबों के चेहरे पर मुस्कान लौटेगी।
जेनेरिक दवा क्या हैं
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) जमशेदपुर शाखा के पूर्व अध्यक्ष डा. आरएल अग्रवाल कहते हैं कि जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं से काफी सस्ती होती है। जिस तरह से ब्रांडेड दवाएं काम करती है ठीक उसी तरह से जेनेरिक दवाएं भी काम करती है। जेनेरिक दवाएं सस्ती होने का मुख्य कारण यह है कि इसके निर्माण और मार्केटिंग पर बड़ी कंपनियों और बड़े ब्रांड की तरह बेहिसाब पैसा खर्च नहीं किए जाते हैं। रोगों पर इसका भी असर ब्रांडेड की तरह ही होता है। ऐसे में अब इसका बड़ा लाभ मरीजों को मिल सकेगा।
जेनेरिक दवा दुकान कौन खोल सकता है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अधिक से अधिक जेनेरिक दवा दुकान खोलने की अपील कर रहे हैं। इसका मकसद है कि कम दरों पर मरीजों को आसानी से दवाइयां उपलब्ध कराया जा सकें। पहले की अपेक्षा जेनेरिक दवा दुकानों की संख्या काफी बढ़ी हैं। इसे कोई भी व्यक्ति खोल सकता है, जो अच्छी बात है। जमशेदपुर के सिविल सर्जन डा. जुझार माझी कहते हैं कि जेनेरिक दवा खोलने के लिए कोई भी व्यक्ति या व्यवसायी, अस्पताल, चैरिटेबल संस्था, फार्मासिस्ट या मेडिकल प्रैक्टिसनर आवेदन कर
सकता है।
एक हजार से अधिक दवाओं की सूची
अगर कोई व्यक्ति जेनेरिक दवा दुकान खोलकर मरीजों की सेवा करना चाहता है तो वे सिविल सर्जन कार्यालय में आवेदन कर सकता है। दरअसल, जो व्यक्ति जन औषधि केंद्र खोलना चाहता है उसे विभाग की तरफ से भी मदद मिल रही है। इन केंद्रों पर एक हजार तरह की दवाएं व सर्जिकल आइटम उपलब्ध रहेगी। इन केंद्रों पर बी-फॉर्मा और एम-फार्मा किए हुए युवाओं की सेवाएं ली जाएंगी। वहीं दिव्यांग, एसटी एवं एससी आवेदकों को जन औषधि केंद्र खोलने के लिए 50 हजार रुपये तक की दवाएं अग्रिम रूप से उपलब्ध कराई जाएगी।
यह मिलेगी सहायता
– 2 लाख रुपये तक की वन टाइम वित्तीय सहायता।
– दवाओं पर प्रिंट कीमत से 16 प्रतिशत तक का प्रॉफिट।
– जन औषधि स्टोर को 12 महीने के लिए उसकी सेल का दस प्रतिशत अतिरिक्त इंसेंटिव दिया जाएगा।
– नक्सल प्रभावित इलाकों, आदिवासी इलाकों में यह इंसेंटिव 15 फीसद और इंसेंटिव राशि 15000 रुपये हर महीने होगी।
दुकान खोलने के लिए यह दस्तावेज जरूरी
अगर आप जेनेरिक दवा दुकान खोलना चाहते हैं तो आपके पास कुछ जरूरी दस्तावेज होना अनिवार्य है। जैसे आधार कार्ड व पैन कार्ड।
अगर कोई एनजीओ, चैरिटेबल संस्था, संस्थान या हॉस्पिटल को आवेदन करना हो तो उसे भी आधार कार्ड, पैन कार्ड, प्रमाणपत्र एवं पंजीयन प्रमाण
पत्र की आवश्यकता होगी।
आपके पास कम से कम 10 वर्ग मीटर जगह होनी चाहिए। तभी आपको जन औषधि केंद्र खोलने की इजाजत मिलेगी.