गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे ने लोको पायलटों के कार्य वातावरण को बेहतर बनाने और ट्रेन संरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब पूर्वोत्तर रेलवे की सभी ट्रेनें एसी युक्त इलेक्ट्रिक इंजन से चलाई जाएंगी। रेलवे प्रशासन ने 349 इलेक्ट्रिक इंजनों में एसी लगाने की योजना तैयार की है, जिनमें से 176 इंजनों में एसी इंस्टॉल हो चुके हैं और कार्य कर रहे हैं।
रेलवे बोर्ड ने हाल ही में 90 और इंजनों में एसी लगाने की मंजूरी दे दी है, जबकि 15 अतिरिक्त इंजनों के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। इसके साथ ही, आने वाले समय में सभी पुराने और नए इलेक्ट्रिक इंजन पूरी तरह वातानुकूलित होंगे।
लोको पायलटों के लिए कार्य परिस्थितियाँ होंगी और भी आरामदायक
गर्मी के मौसम में इलेक्ट्रिक इंजनों के भीतर का तापमान बाहरी तापमान से 5–7 डिग्री तक अधिक हो जाता है, जिससे ट्रेन चलाना लोको पायलटों के लिए काफी कठिन हो जाता है। पंखों से निकलने वाली गर्म हवा और इंजन के भीतर की गर्मी से उन्हें असुविधा का सामना करना पड़ता है। एसी इंस्टॉलेशन से इन समस्याओं का समाधान मिलेगा और लोको पायलटों की कार्य क्षमता में सुधार होगा।
नई तकनीक से बढ़ेगी संरक्षा और कार्य दक्षता
रेल मंत्रालय अब संरक्षा के उच्च मानकों को अपनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। नए इलेक्ट्रिक इंजन पहले से ही वातानुकूलित आ रहे हैं, जबकि पुराने इंजनों में एसी अलग से लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा, कोहरे से निपटने के लिए फॉग सेफ्टी डिवाइस, ड्राइवर अलर्ट सिस्टम, इंप्रूव्ड ब्रेकिंग सिस्टम और कवच तकनीक जैसे उपकरण भी लगाए जा रहे हैं।
लोको पायलटों के लिए आरामदायक सुविधाएं: सीपीआरओ पंकज सिंह
इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में डीजल इंजनों की तुलना में शोर कम होता है, कैब अधिक स्पेस वाला होता है, और सीटें आरामदायक होती हैं। बड़ी विंडो साइज के कारण दृश्यता भी बेहतर होती है, जिससे ट्रेन संचालन में आसानी होती है।
पूर्वोत्तर रेलवे के सभी 18 रनिंग रूम में भी एसी इंस्टॉल कर दिए गए हैं, जिससे लोको पायलटों को ड्यूटी के बाद पर्याप्त विश्राम मिल सके। जल्द ही 50% इलेक्ट्रिक इंजनों में भी एसी पूरी तरह से कार्य करने लगेंगे।