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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज पहुंचे VHP के कार्यक्रम में, कहा- भारत अपने बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा

दूसरों के दर्द से हमें दुख होता है। लेकिन आप ऐसा महसूस नहीं करते, क्यों… जब आप उनके सामने जानवरों को मारेंगे, तो आपका बच्चा सहनशीलता और दया कैसे सीखेगा।

by Reeta Rai Sagar
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Allahabad High Court judge at VHP event : 8 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस शेखर कुमार यादव विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में पहुंचे। यहां उन्होंने Uniform Civil Code और मेजॉरिटी समेत कई अहम मसलों पर बात की। इतना ही नहीं उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की भी सराहना की।

आप बस अनादर न करें…….

इस कार्यक्रम में पहुंचे जस्टिस शेखर ने कहा कि हिंदू, मुसलमानों से ये उम्मीद नहीं करते कि वो उनकी संस्कृति का पालन करें, बल्कि वो सिर्फ़ इतना चाहते हैं उसका अनादर ना करें। उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बात करते हुए कहा कि ये भारत है और ये अपने बहुमत की इच्छा के अनुसार चलेगा। विश्व हिंदू परिषद् के इस कार्यक्रम में कई वकील और परिषद् के कार्यकर्ता भी शामिल हुए।

जब आप जानवरों को मारेंगे, तो दया कैसे सिखाएंगेः जस्टिस शेखर

कांर्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस शेखर ने कहा कि हम अपने बच्चों को जन्म से ही सहनशीलता और दया सिखाते हैं। हम उन्हें जानवरों और प्रकृति से प्यार करना सिखाते हैं। दूसरों के दर्द से हमें दुख होता है। लेकिन आप ऐसा महसूस नहीं करते, क्यों… जब आप उनके सामने जानवरों को मारेंगे, तो आपका बच्चा सहनशीलता और दया कैसे सीखेगा।

आप शादी करते समय अग्नि के सात फेरे न लें….

इस दौरान उन्होंने मेजोरिटी पर भी बात की और कहा कि मुझे ये कहते हुए बिल्कुल भी हिचकिचाहट नहीं है कि यह देश बहुमत के हिसाब से चलेगा। हिंदुओं के रीति-रिवाजों और महिलाओं के सम्मान में बात करते हुए कहा कि हम आपसे शादी करते समय अग्नि के चारों ओर सात फेरे लेने की अपेक्षा नहीं करते… हम नहीं चाहते कि आप गंगा में डुबकी लगाएं… लेकिन हम आपसे अपेक्षा करते हैं कि आप देश की संस्कृति, देवताओं और महान नेताओं का अनादर न करें। आप उस महिला का अपमान नहीं कर सकते, जिसे हिंदू शास्त्रों और वेदों में देवी माना जाता है।

सुप्रीम कोर्ट भी इसका समर्थन करती है

प्रयागराज में वीएचपी की लीगल सेल की ओर से आयोजित कार्यक्रम में अल्पसंख्यकों पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि आप चार पत्नियां रखने, हलाला करने या तीन तलाक़ करने के अधिकार का दावा नहीं कर सकते। महिलाओं को भरण-पोषण देने से मना करना और दूसरे तरह के अन्यायपूर्ण काम नहीं करेंगे। शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि पीड़ित तलाकशुदा मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता दिया जाना चाहिए, लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार ने कुछ लोगों के सामने घुटने टेक दिए थे। सिर्फ़ RSS, VHP या हिंदू ही समान नागरिक संहिता की वकालत नहीं करते, देश की शीर्ष अदालत भी इसका समर्थन करती है।

मीडिया को जो मर्जी वो छापे

आगे जस्टिस शेखर ने कहा कि 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना शताब्दी वर्ष मनाएगा और RSS, VHP जैसी संस्थाओं ने देश के कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों के लिए काम किया है। अंत में उहोंने स्पष्ट किया कि मुझसे इन बातों के लिए कोई भी सवाल नहीं कर सकता, क्योंकि वो कानून की बातें कर रहे हैं। मीडिया चाहे जो भी छापे।

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