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अनिश्चितताओं से भरी रही है जमशेदपुर की राजनीति: इतिहास और परंपरा

by Rakesh Pandey
रघुवर के ओडिशा शिफ्ट से जमशेदपुर में बदलेगा राजनीतिक समीकरण
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जमशेदपुर: यूं तो राजनीति को हमेशा से अनिश्चितताओं का खेल माना जाता है लेकिन जमशेदपुर के राजनीतिक परिपेक्ष में यह अनिवार्य हिस्सा बन गया है। जमशेदपुर के चुनावी मैदान में प्रत्याशियों को लेकर सियासत चौंकाती रही है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के राजनीतिक भविष्य को लेकर नए फैसले ने एक बार फिर सारे चुनावी गणित को अचानक से बदल कर रख दिया है। एक बार फिर यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि आने वाले चुनाव में इस फैसले के कारण कुछ नए लोगों की किस्मत खुल सकती है।

जमशेदपुर का चुनावी इतिहास

अगर जमशेदपुर के राजनीतिक इतिहास और परंपरा की बात करें तो वर्ष 1967 के विधानसभा चुनाव से जमशेदपुर शहर में दो सीटें बनीं जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर पश्चिम। इस वर्ष कांग्रेस ने जमशेदपुर पूर्वी से मधु ज्योत्सना अखौरी जैसी अचर्चित महिला को प्रत्याशी बना दिया था। वह जीत भी गई थीं।
वह तब के धाकड़ कांग्रेसी नेता डॉक्टर एमके अखौरी की पत्नी थीं। मौजूदा समय में उनकी पहचान प्रियंका चोपड़ा की नानी के रूप में है।

ऐसे आगे बढ़ी राजनीति
वर्ष 1977 के चुनाव में जनता पार्टी ने अयूब खान को जमशेदपुर पश्चिम से उतर कर चौका दिया था। वह भी चुनाव जीत गए थे। 1985 के चुनाव में कांग्रेस ने जमशेदपुर पूर्व से डी नरीमन को उतार कर हलचल मचा दी। उन्हें भी जीत मिल गयी। 1995 में भाजपा ने अपने सिटिंग विधायक दीनानाथ पांडे का टिकट काटकर सबको चौंका दिया था। पार्टी ने अपने मंडल स्तर के नेता रहे रघुवर दास को टिकट दे दिया था। रघुवर दास चुनाव जीत गये थे। इसी तरह वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जमशेदपुर सीट से नितिन भारद्वाज को प्रत्याशी बनाकर चौंका दिया था। वह भी जीत गए थे। वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जमशेदपुर पश्चिम से एमपी सिंह का टिकट काटकर सरयू राय को टिकट दिया गया था। राय को भी चुनाव में जीत मिली थी। वर्ष 2009 के चुनाव में ऐन वक्त पर बन्ना गुप्ता ने समाजवादी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। वह जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव मैदान में उतरे। बन्ना को जीत मिली। वर्ष 2019 में भाजपा ने जमशेदपुर पश्चिम से सरयू राय का टिकट काटकर सबको चौंक दिया। इसके बाद राय ने जमशेदपुर पश्चिम की वजह रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। चुनावी में उन्हें जीत मिली। उन्हें मुख्यमंत्री रघुवर दास को हरा दिया। अब भाजपा ने रघुवर दास को अचानक राज्यपाल बनाकर चौंका दिया है। अब नजरें इस पर टिकी हैं कि अगली बार क्या चौंकाऊ घटनाक्रम होगा.

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