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मणिपुर में हत्या का एक और वीडियो वायरल : सरकार की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल, केंद ने मांगी रिपोर्ट तलब, जाने आज के हालात

by Rakesh Pandey
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मणिपुर : मणिपुर में पिछले 83 दिनों से हिंसा जारी है। मणिपुर में कुकी समुदाय की दो महिलाओं के साथ हुई दरिंदगी के वीडियो ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। अब इस घटना के बाद हिंसा से जुड़ा एक और भयानक वीडियो सामने आया है।

दावा किया जा रहा है कि इस वीडियो में कुकी समुदाय के एक शख्स का कटा हुआ सिर बांस की फेंसिंग पर लटका हुआ दिख रहा है।

मृतक शख्स की पहचान डेविड थीक के तौर पर बतायी जा रही है। दावा किया जा रहा है कि वीडियो बिष्णुपुर जिले का है। इसमें एक रहवासी इलाके में कटा हुआ सिर रखा दिख रहा है। दावा किया जा रहा है कि डेविड की हत्या 2 जुलाई को हुई हिंसा के दौरान हुई थी।

इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई थी। दो माह से अधिक समय से हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर को शांत करने के केंद्र व राज्य सरकार तमाम प्रयास अब तक सफल होते नहीं दिख रहे हैं। राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं।

 

महिलाओं को निर्वस्त्र करने की घटना की हो रही जबरदस्त प्रतिक्रिया

मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का मामला दिन प्रतिदिन तूल पकड़ता जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि यह घटना चार मई की है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद से संसद से सड़क तक हंगामा मचा है। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया दी है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वह कोई बड़ा निर्णय ले सकता है। मणिपुर में कुकी आदिवासी समाज के लोगों का आंदोलन जारी है। प्रशासनीक स्तर पर शांति बहाली को लेकर बड़ी कार्रवाई होती नहीं दिख रही है। मणिपुर में बहु-बेटियों के सम्मान की रक्षा देश की चिंता का विषय बन गया है। कुकी व मैतयी समाज के लोग एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं।

महिलाओं के साथ बर्बरता से कुकी समुदाय में भारी नाराजगी

दावा किया जा रहा है कि वायरल वीडियो में जिन दो महिलाओं को नग्न करके घुमाया जा रहा है, वो कुकी समुदाय की हैं। यह वीडियो चार मई का बताया जा रहा है, जब हिंसा शुरुआती चरण में था। महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का आरोप मैतई समुदाय के लोगों पर लगा है। इस मामले में पुलिस ने अज्ञात हथियारबंद बदमाशों के खिलाफ थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज किया गया है। उधर, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी मामले की जांच के लिए अलग टीम गठित कर दी है। केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार से इस मसले पर रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने भी मुख्यमंत्री से बात की। सीएम ने भरोसा दिया है कि दोषियों को मौत की सजा दी जायेगी। चार लोगों को गिरफ्तार करने की सूचना है।

हिंसा में सैकड़ों लोग गंवा चुके हैं जान

मणिपुर में जारी हिंसा में 83 दिनों में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। हर रोज हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं। आदिवासी सामाज के लोग सड़कों पर उतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री बीरेंद्र सिंह से इस्तीफे की मांग की है। उनकी एक ही मांग है मुख्यमंत्री को बदलों। पूर्व में सीएम के इस्तीफे की सूचना आयी थी। हालांकि सीएम के समर्थन में जनता का एक वर्ग सड़क पर उतर गया। लोगों से मौजूदा परस्थिति में बीरेंद्र सिंह से पद नहीं छोड़ने की अपील की।

मणिपुर के जातीय समीकरण और हिंसा का कारण

मणिपुर की राजधानी इम्फाल बिल्कुल बीच में है। ये पूरे प्रदेश का 10% हिस्सा है, जिसमें प्रदेश की 57% आबादी रहती है। बाकी चारों तरफ 90% हिस्से में पहाड़ी इलाके हैं, जहां प्रदेश की 43% आबादी रहती है। इम्फाल घाटी वाले इलाके में मैतेई समुदाय की आबादी ज्यादा है। ये ज्यादातर हिंदू हैं। मणिपुर की कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी करीब 53% है। आंकड़ें देखें तो सूबे के कुल 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई समुदाय से हैं।

वहीं, दूसरी ओर पहाड़ी इलाकों में 33 मान्यता प्राप्त जनजातियां रहती हैं। इनमें प्रमुख रूप से नगा और कुकी जनजाति हैं। ये दोनों जनजातियां मुख्य रूप से ईसाई हैं। इसके अलावा मणिपुर में आठ-आठ प्रतिशत आबादी मुस्लिम और सनमही समुदाय की है।

भारतीय संविधान के आर्टिकल 371C के तहत मणिपुर की पहाड़ी जनजातियों को विशेष दर्जा और सुविधाएं मिली हुई हैं, जो मैतेई समुदाय को नहीं मिलती। ‘लैंड रिफॉर्म एक्ट’ की वजह से मैतेई समुदाय पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदकर बस नहीं सकता। जबकि जनजातियों पर पहाड़ी इलाके से घाटी में आकर बसने पर कोई रोक नहीं है। इससे दोनों समुदायों में मतभेद बढ़े हैं। और विवाद का मूल कारण है।

हिंसा की शुरुआत कैसे हुई?

मौजूदा तनाव की शुरुआत चुराचंदपुर जिले से हुई। ये राजधानी इम्फाल के दक्षिण में करीब 63 किलोमीटर की दूरी पर है। इस जिले में कुकी आदिवासी ज्यादा हैं। गवर्नमेंट लैंड सर्वे के विरोध में 28 अप्रैल को द इंडिजेनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने चुराचंदपुर में आठ घंटे बंद का ऐलान किया था। देखते ही देखते इस बंद ने हिंसक रूप ले लिया।

उसी रात तुइबोंग एरिया में उपद्रवियों ने वन विभाग के ऑफिस को आग के हवाले कर दिया। 27-28 अप्रैल की हिंसा में मुख्य तौर पर पुलिस और कुकी आदिवासी आमने-सामने थे। इसके ठीक पांचवें दिन यानी तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला।

ये मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने के विरोध में था। यहीं से स्थिति काफी बिगड़ी। आदिवासियों के इस प्रदर्शन के विरोध में मैतेई समुदाय के लोग खड़े हो गये। लड़ाई के तीन पक्ष हो गये।

एक तरफ मैतेई समुदाय के लोग थे तो दूसरी ओर कुकी और नगा समुदाय के लोग। देखते ही देखते पूरा प्रदेश इस हिंसा की आग में जलने लगा। चार मई को चुराचंदपुर में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की एक रैली होने वाली थी।

पूरी तैयारी हो गयी थी, लेकिन रात में ही उपद्रवियों ने टेंट और कार्यक्रम स्थल पर आग लगा दी। सीएम का कार्यक्रम स्थगित हो गया। अब तक इस हिंसा के चलते 150 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। तीन हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। लाखों लोग गांव से पलायन को मजबूर हुए। इसके साथ ही हजारों लोगों ने विभिन्न सरकारी कैंपों में सरन ले रखा है।

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