एंटरटेनमेंट डेस्क: बाप का, दादा का, भाई का, सबका बदला लेगा तेरा ये फैजल’….. यकीनन यह डायलॉग सभी को याद होगा। हम बात कर रहे हैं अनुराग कश्यप की जिन्होंने सिनेमा को रियलिटी का स्वाद चखाया।
गैंग्स ऑफ वासेपुर, उड़ान, देव डी, गुलाल, ब्लैक फ्राइडे, मुक्काबाज जैसी फ़िल्मों के निर्देशक अनुराग कश्यप, आधुनिक समय के एकमात्र निर्देशक हैं जिन्होंने वास्तविक फिल्मों में एंटरटेनमेंट का तड़का लगाने का बीड़ा उठाया है। अनुराग कश्यप हिंदी सिनेमा में न केवल नई पहचान बल्कि कई बदलाव भी लाए है।
सफल नहीं था आसान
अनुराग कश्यप ने पर्दे पर इस अंदाज में कहानी बयां की कि लोगों को लगा यह उन्ही की कहानी है। अनुराग कश्यप का जन्म 10 सितंबर 1972 के दिन गोरखपुर में हुआ। उन्हें कॉलेज के दिनों से ही फिल्मों का शौक था। फिल्मों में रूचि होने के कारण अनुराग कश्यप ने थिएटर को चुना।
“सत्या” के साथ रखा निर्देशन में कदम
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनुराग कश्यप 1993 में मात्र 5,000 रूपये लेकर मुंबई पहुंचे थे। बड़ी मुश्किलों से उन्हें पृथ्वी थिएटर में काम मिला, और यही से उनके फिल्मी दुनिया में कदम रखने की शुरुआत हुई। फिल्म निर्देशन में उन्होंने अपना पहला कदम ‘सत्या’ के साथ रखा जो 1997 में आई। अनुराग कश्यप ने बॉलीवुड में अपना स्थान बनाने के लिए कई वर्षो तक संघर्ष का सामना किया। भले ही उनके सामने कई मुश्किल आयी लेकिन अनुराग कश्यप ने हार नहीं मानी। उन्होंने कई विवादित प्रोजेक्ट्स पर भी काम किया, जैसे की ‘पांच’ जो सेंसर बोर्ड के विवादों से घिरा था, और ‘बॉम्बे वेलवेट’ जो सामाजिक विवादों का कारण बनी। उन्होंने कई बार बॉलीवुड और सेंसर बोर्ड की विचारधारा के खिलाफ आवाज उठाई है। वे अपनी फिल्मों में आधुनिकता, सामाजिक उद्देश्य और आलोचना का समर्थन करने का प्रयास करते हैं।
सफलता की कड़ी मेहनत
बिना कड़ी मेहनत की सफलता मिलना असंभव सा लगता है और इसका सबसे अच्छा उदाहरण अनुराग कश्यप है। आज जो आप उनकी सफलता देख रहे हैं वह उनके वर्षो पुरानी कड़ी मेहनत का फल है। फिल्म निर्माण में अपनी विशेषज्ञता का इजहार करते हैं और अलग अलग जॉनर्स की फिल्म की कहानियों को दर्शकों के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं। हिंदी सिनेमा जगत में ऐसे कुछ ही नाम है जिनकी पहचान भारत तक ही सीमित नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय सिनेमा जगत में अपनी गूंज फैला रही है, उन चंद नामों की लिस्ट में अनुराग कश्यप का नाम भी शामिल है। उनकी फिल्म ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ और ‘उड़ता पंजाब’ विभिन्न जगह प्रशंसा हासिल करने में सफल रही।
READ ALSO : फिल्म वेलकम 3 का टीजर रिलीज, अक्षय कुमार ने जन्मदिन पर फैंस को दिया खास तोहफा
क्यों नहीं रिलीज हो सके पहली फिल्म
अनुराग कश्यप की पहली मुलाकात रामगोपाल वर्मा से मनोज बाजपेई ने कराई थी। उस मुलाकात के बाद कश्यप ने सबसे पहले राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘सत्या’ की स्क्रिप्ट लिखने में मदद की थी। जैसा कि हमने बताया कि अनुराग कश्यप की निर्देशन करियर की शुरुआत उनकी फिल्म ‘पांच’ से हुई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि सेंसर बोर्ड के विवादों के कारण यह फिल्म पर्दे पर रिलीज नहीं हो पाई। इसके बाद कश्यप ने हुसैन जैदी की किताब पर आधारित ‘ब्लैक फ्राईडे’ बनाई।
अनुराग कश्यप का फिल्मी सफर आसान नहीं था लेकिन उन्होंने अपनी अटूट मेहनत और विश्वास काम करते हुए अपनी पकड़ बॉलीवुड में जमा ली। उनकी सृजनात्मक दृष्टिकोण और साहस बॉलीवुड की नई सोच में एक दिशा देता हैं।