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विपक्ष में सत्ता पक्ष के खिलाफ बोला हमला : कांग्रेस ने पूछा- प्रधानमंत्री को आखिर मणिपुर पर बयान देने में क्याें हो रही झिझक, संसद में गतिरोध जारी

by Rakesh Pandey
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नयी दिल्ली : मणिपुर के मामले में देश भर में विरोध का दौड़ जारी है। मणिपुर में शांति व्यवस्था कायम रखने को लेकर संसद से सड़क तक विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। इस मामले में विपक्षी पार्टियां केंद्र पर दबाव बनाये हुए हैं। संसद में पहले दिन से गतिरोध जारी है। इस बीच सोमवार को कांग्रेस ने गृह मंत्री अमित शाह पर संसद में मणिपुर हिंसा के विषय पर झूठ बोलने और देश को गुमराह करने का आरोप लगाया।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि दोनों सदनों में जारी गतिरोध का कारण खुद केंद्र सरकार है। केंद्र की मंशा गतिरोध खत्म करने की नहीं है। सरकार विपक्ष की मांग स्वीकार नहीं कर रही है। मुख्य विपक्षी दल ने यह सवाल भी किया कि आखिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मणिपुर के संदर्भ में संसद के भीतर बयान क्यों नहीं दे रहे हैं, उन्हें क्या झिझक है?

विपक्ष की एक ही मांग प्रधानमंत्री संसद में दें जवाब, ‘इंडिया’ के सदस्यों ने कहा- हम लोग चर्चा व गतिरोध दूर करने को तैयारी, संसद का माॅनसून सत्र तीन दिनों से दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार हो बाधित रही

इंडिया के घटक दलों ने कहा- संसद में मणिपुर की सच्चाई सामने आने दें :
कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के अन्य घटक दल माॅनसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के माॅनसून सत्र के पहले तीन दिन दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई। मणिपुर के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि सरकार इस बेहद संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा को तैयार है और विपक्ष से आग्रह है कि वे चर्चा होने दें और सच्चाई सामने आने दें।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और बयान दें। इस बयान पर हम चर्चा करने के लिए तैयार हैं। वह संसद के बाहर बात कर रहे हैं, लेकिन सदन में बयान नहीं दे रहे हैं। यह संसद का अपमान है। उन्होंने यह भी कहा कि संसद का सत्र चल रहा है, मामला गंभीर है और ऐसे में प्रधानमंत्री को सदन में बयान देना चाहिए।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि माॅनसून सत्र के तीसरे दिन भी संसद की कार्यवाही नहीं हो सकी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार ‘इंडिया’ के दलों की मणिपुर में तीन मई के बाद की स्थिति पर प्रधानमंत्री के विस्तृत बयान की मांग नहीं मान रही है। इंडिया की स्पष्ट मांग है कि पहले प्रधानमंत्री सदन में बयान दें, उसके बाद इसपर चर्चा हो। इंडिया की सभी पार्टियां सिर्फ मणिपुर ही नहीं, वास्तव में पूरे देश के लोगों की भावनाओं को सामने रख रही हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि सिर्फ हेडलाइन को मैनेज करने के लिए गृह मंत्री ने आज कहा कि मोदी सरकार संसद में मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है। वह किसी पर कोई विशेष उपकार नहीं कर रहे हैं। रमेश ने कहा कि यह ‘इंडिया’ की सभी पार्टियों की पूरी तरह से लोकतांत्रिक और वाजिब मांग है कि पहले मणिपुर की स्थिति पर प्रधानमंत्री सदन में बयान दें। उसके तुरंत बाद ही चर्चा होगी। इस पर गृह मंत्री पूरी तरह से चुप हैं।

देश को गुमराह कर रहे हैं गृहमंत्री :
उन्होंने सवाल किया कि संसद के अंदर प्रधानमंत्री को पहले बयान देने में क्या झिझक है? शक्ति सिंह गोहिल ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि आज गृह मंत्री ने झूठी बात की है कि सरकार मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है। आप इस देश के लोगों को गुमराह करने के लिए कितना नीचे गिरेंगे?
उन्होंने कहा कि हम नियम 267 के तहत चर्चा की मांग कर रहे हैं। इस नियम के तहत जरूरत हुई तो मतदान भी हो सकता है। सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया। सरकार इतने गंभीर मामले पर छोटी सी चर्चा चाहती है।

मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाये जाने का वीडियो बुधवार, 19 जुलाई को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त है। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई की है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

मणिपुर की घटना के विरोध में देश के जिले-जिले में हो रहे धरना-प्रदर्शन
मणिपुर की घटना के विरोध में देश के जिले-जिले में धरना प्रदर्शन का दौड़ जारी है। लोगों की एक ही मांग है। केंद्र सरकार राज्य सरकार को बर्खास्त करे और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर राज्य में शांति व्यवस्था कायम करे। केंद्र सरकार का रुख पूर्ववत बना हुआ है। अभी भी मणिपुर के अलग-अलग इलाकों में हिंसा जारी है। हर रोज केंद्रीय बलों व ग्रामीणों में झड़प की घटनाएं हो रही हैं।

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