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Azerbaijan: नागोर्नो-काराबाख में एक गैस स्टेशन में हुए विस्फोट में125 से अधिक लोगों की हुई मौत 

by Rakesh Pandey
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येरेवान: अजरबैजान के नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में एक गैस स्टेशन में हुए विस्फोट में अब तक 125 लोगों की मौत हो गई है। जबकि 250 से अधिक लोग घायल हुए है। मिली जानकारी के अनुसार ये विस्फोट तब हुआ, जब सोमवार देर रात लोग एक गैस स्टेशन के बाहर अपनी गाड़ियों में ईंधन भरवाने के लिए लाइन में लगे हुए थे।

 

आर्मेनिया के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि धमाका इतना जोरदार था कि उसकी आवाज 4से पांच किलोमीटर दूर तक सुनाई दिया। दो दर्जन से अधिक लोगों के शव मौके से बरामद किए गए हैं। वहीं,250 से अधिक घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिसमें कई लोगों को मृत घोषित कर दिया गया। इनके शवों को रूस की मदत से एयरलिफ्ट कर आर्मेनिया ले जाया गया है।

 

विस्फोट के कारणों को नहीं चल पाया पाता:

 

हालांकि, गैस स्टेशन पर हुए विस्फोट के कारण का स्पष्ट पता नहीं चल पाया है। वहीं, नागोर्नो-काराबाख के राष्ट्रपति के सहयोगी डेविड बाबयान ने बताया कि शुरुआती जानकारी से पता चला है कि यह हादसा एक लापरवाही के कारण हुआ है।

अजरबैजान की सेना ने आर्मेनिया के ठिकानों को बनाया था निशाना

 

बता दें कि अजरबैजान की सेना ने नागोर्नो-कारबाख क्षेत्र में आर्मेनिया के ठिकानों को निशाना बनाया था। पहले दिन करीब 25 लोगों की गोलीबारी में मौत हुई थी। हालांकि, बाद में अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख से अलग हुए क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण की घोषणा की थी। साथ ही आर्मेनिया के सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था।

 

तीन दशक तक अलगाववादियों का शासन: 

 

बता दें कि क्षेत्र में तीन दशक तक अलगाववादियों का शासन रहा। पिछले सप्ताह अजरबैजान की सेना द्वारा अभियान चलाकर क्षेत्र पर पूर्ण दावा करने के बीच हजारों की तादाद में नागोर्नो-काराबाख निवासी पलायन कर आर्मेनिया पहुंच रहे हैं। इसी बीच विस्फोट की यह घटना हुई।

 

अजरबैजान से हारा आर्मेनिया: 

 

अजरबैजान की सेना ने पिछले हफ्ते 24 घंटे के हमले में आर्मेनिया की सेना को हरा दिया, जिससे अलगाववादी अधिकारियों को हथियार डालने पड़े और तीन दशकों के अलगाववादी शासन के बाद नागोर्नो-काराबाख के अजरबैजान में एकीकरण पर बातचीत शुरू करने के लिए सहमत होना पड़ा।

 

अजरबैजान ने क्षेत्र में मूल आर्मेनियाई लोगों के अधिकारों का सम्मान करने की प्रतिबद्धता जतायी है और 10 महीने की नाकाबंदी के बाद आपूर्ति बहाल करने का वादा किया है, लेकिन कई स्थानीय निवासियों को डर है कि उन्हें प्रतिशोध का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे लोग आर्मेनिया से बाहर जाने की तैयारी कर रहे हैं। जो लोग इस हासदसे में मारे गए हैं वे ऐसे ही लोग थे।

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