बांग्लादेश। बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर के पुंडरिक धाम के चिन्मय कृष्णदास की गिरफ्तारी के बाद से चले आ रहे विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। इस्कॉन ने अपने पूर्व नेता चंदन कुमार धर उर्फ चिन्मय कृष्ण दास ब्रहमाचारी पर बाल यौन शोषण के आरोप को देखते हुए प्रतिबंध लगा दिया है।
चट्टोग्राम अदालत द्वारा जेल भेजे जाने के बाद से चल रहा विवाद
चिन्मय को राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में दायर एक मामले में चट्टोग्राम अदालत द्वारा जेल भेज गया था, इसके बाद से ही बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। वे सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता थे। वह चट्टोग्राम में पुंडरिक धाम नामक इस्कॉन द्वारा संचालित धार्मिक स्थल का भी नेतृत्व कर रहे थे।
संगठन ने कहा- प्रतिबंध अभी तक हटाया नहीं गया
सोमवार की शाम को साढ़े 4 बजे ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस की खुफिया शाखा ने उसे हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से हिरासत में लिया। चिन्मय के बाल शोषण में शामिल होने के आरोप उनके सलाखों के पीछे होने से पहले के हैं। आरोप के मद्देनजर आईसीओसीपी ने चिन्मय पर प्रतिबंध लगा दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल 6 अक्टूबर को ब्रिटेन में इस्कॉन के सीपीटी द्वारा जारी एक पत्र में यह प्रतिबंध लगाया गया था। संगठन ने कहा कि प्रतिबंध अभी तक हटाया नहीं गया है।
चिन्मय प्रभु के मामले ने पकड़ा तूल, देशों के बीच संबंध दांव पर
बांग्लादेश में करीब 1 करोड़ 35 लाख हिंदू रहते है। जो कुल आबादी का 7.95 फीसदी है, लेकिन आजादी के बाद से बांग्लादेश में हिदू कभी भी सुरक्षित नहीं रहा। लेकिन बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े चिन्मय प्रभु का मसला इतना तूल पकड़ा है कि दोनों देशों के बीच संबंध दांव पर लग गए है।
रिहाई को लेकर बांग्लादेशी हिंदू कर रहे आंदोलन
दरअसल चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद भारत ने हिदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा, इस पर बांग्लादेश की ओर से कहा गया कि इस मुद्दे पर भारत को दखल देने की जरूरत नहीं है। बांग्लादेश में मोहम्मद युनूस की सरकार ने इस्क़ॉन पर बैन लगाने के लिए कोर्ट तक पहुंची, लेकिन कोर्ट ने इंकार कर दिया। लेकिन बांग्लादेश में इस्कॉन का चेहरा रहे चिन्मय प्रभु अब भी जेल में है और उनकी रिहाई को लेकर बांग्लादेश के हिंदू आंदोलन कर रहे है।