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BJP सांसद बांसुरी स्वराज का ‘नेशनल हेराल्ड की लूट’ वाला बैग संसद परिसर में बना सुर्खियों का कारण

बांसुरी स्वराज द्वारा 'नेशनल हेराल्ड की लूट' लिखे बैग का इस्तेमाल इस बात की ओर संकेत करता है कि अब राजनीतिक संवाद प्रतीकों और दृश्यों के जरिए अधिक आक्रामक हो गया है।

by Reeta Rai Sagar
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New Delhi: सोमवार को संसद के एनेक्सी भवन में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में पहुंचीं बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज सुर्खियों में छाई रहीं। कारण था उनका टोटे बैग। आज सदन में उन्होंने “नेशनल हेराल्ड की लूट” लिखे हुए एक टोटे बैग के साथ प्रवेश किया। यह दृश्य कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीतिक संदेश देने वाले हैंडबैग्स की श्रृंखला के जवाब में बीजेपी की ओर से तीखा राजनीतिक संकेत माना जा रहा है।

‘नेशनल हेराल्ड केस’ पर बांसुरी स्वराज का तीखा हमला
बांसुरी स्वराज ने मीडिया से बातचीत में कहा, “यह पहली बार है जब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया में भ्रष्टाचार हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर चार्जशीट कांग्रेस पार्टी की पुरानी कार्यशैली और विचारधारा को उजागर करती है। सेवा के नाम पर ये लोग सार्वजनिक संस्थानों को निजी संपत्ति बढ़ाने का माध्यम बनाते हैं।”

यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब ईडी ने हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में चार्जशीट दायर की है।

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
यह मामला 2021 में औपचारिक रूप से शुरू हुआ, जिसकी शिकायत बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2014 में दर्ज कराई थी। आरोप है कि गांधी परिवार और अन्य कांग्रेस नेताओं ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL), जो ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार का प्रकाशन करता है, को यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के जरिए मात्र ₹50 लाख में अधिग्रहण कर लिया। इस प्रक्रिया में जिन संपत्तियों की बात हो रही है, उनकी कीमत ₹2000 करोड़ से अधिक बताई जा रही है।

प्रियंका गांधी वाड्रा के बैग विवाद का जवाब
बांसुरी स्वराज का यह टोटे बैग, प्रियंका गांधी वाड्रा के उन हैंडबैग्स की प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है, जिनपर हाल के महीनों में राजनीतिक संदेश दिए गए थे। दिसंबर में वाड्रा ने “पैलेस्टाइन” शब्द वाले बैग के साथ सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज कराई थी, जिसे बीजेपी नेताओं ने ‘सांप्रदायिक एजेंडा’ कहकर निशाना बनाया था।

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने तब कहा था, “गांधी परिवार हमेशा तुष्टिकरण की थैली लेकर चलता है और यही तुष्टिकरण उनके चुनावी पराजयों का कारण है।”

इसके बाद प्रियंका गांधी ने “Stand with Bangladeshi Hindus and Christians” लिखा बैग लेकर अपनी स्थिति को और मजबूत करने की कोशिश की थी। वहीं, इसी साल की शुरुआत में बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने वाड्रा को “1984” लिखा हुआ बैग उपहार में दिया था, जो इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों की याद दिलाने के लिए था।

राजनीतिक प्रतीकों की जंग में नया अध्याय
बांसुरी स्वराज द्वारा ‘नेशनल हेराल्ड की लूट’ लिखे बैग का इस्तेमाल इस बात की ओर संकेत करता है कि अब राजनीतिक संवाद प्रतीकों और दृश्यों के जरिए अधिक आक्रामक हो गया है। यह घटना भारतीय राजनीति में विजुअल कम्युनिकेशन और प्रतीकात्मक राजनीति के बढ़ते प्रभाव का भी संकेत देती है।

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