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आ रहा है भोलेनाथ का प्रिय माह सावन : जानें कोल्हान के चार प्रमुख शिव मंदिरों के बारे में, जहां जलाभिषेक के लिए लगता है भक्तों का तांता

by Rakesh Pandey
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जमशेदपुर:  झारखंड की जमीन, पहाड़, जंगल और हरियाली के लिए जाना जाता है। कोल्हान में पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां तीन जिले शामिल है। कोल्हान की धरती कई रहस्य अपने अंदर समेटी हुई है। यहां कई ऐसे अनोखे मंदिर है। अगर यहां पर स्थित मंदिरों को विकास पर सरकार ध्यान दे तो काफी संख्या में श्रद्धालुओं का आना होगा और यह स्थल पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकते है। मंदिर पथ तक सुगम रास्ते नहीं होने के कारण श्रद्धालु ज्यादा संख्या में पहुंच नहीं पाते।

सावन की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है। कोल्हान के सभी प्रमुख मंदिरों में पूजा की तैयारी पूरा जोरों पर है। कोल्हान के सभी प्रमुख मंदिर अपनी अलग विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। आइये जानते है मंदिरों से जुडी मान्याताएं..

दलमा शिव मंदिर

दलमा पहाड़ की चोटी पर शिव मंदिर स्थित है। जमशेदपुर- रांची एन एच-33 के ठीक बगल में दलमा पहाड़ स्थित है। लगभग 3 हजार फीट की उंचाई पर शिवलिंग एक संकरी गुफा में स्थित है। मान्यताओं के अनुसार यहां स्थित शिव मंदिर स्वयंभू है। अपने आप यहां भगवान की शिवलिंग प्रकट हुए है।

स्थानीय लोगों के अनुसार यहां शिवलींग का आस्तित्व को पता लगाना बहुत मुश्किल है। हर साल सावन माह में हजारों की संख्या में लोग भगवान शिव के दर्शन के लिए आते है। पूजा के लिए पूरे झारखंड, बिहार, बंगाल और उडीसा से लोग आते हैं। दलमा शिव मंदिर जाने के लिए सड़क और पैदल मार्ग है।

सड़क मार्ग से जाने के लिए भक्तों को जमशेदपुर रांची एन एच -33 सटे दलमा पहाड़ होते हुए लगभग 20 किलोमीटर का रास्ता तय करना होगा। चढ़ाई के दौरान सावधानी रखने की जरूरत होती है। क्योंकि रास्ते सें खतरनाक घाटियों से होकर गुजरना पड़ता है। मंदिर के पास पूजा सामग्री आसानी से मिल जाती है।

भक्त चलकर मंदिर जाना चाहते है उन्हें पारडीह काली मंदिर के पास से पहाड़ी चढ़ने का रास्ता मिलता है। पूरी चढ़ाई चढ़ने में 3 से 4 घंटे का वक्त लगता है। पौराणिक मान्याताओं के अनुसार दलमा स्थित शिव मंदिर में पूजा करने से भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती है।

कालेश्वर मंदिर

कोल्हान के प्रमुख शिव मंदिर में कालेश्वर मंदिर भी शामिल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर प्राचीन होने के साथ रहस्यमयी भी मानी जाती है। यहां हर साल सावन में सैकड़ों भक्तों की भीड़ होती है। पौराणिक मान्याताओं के अनुसार मंदिर में स्थित शिवलिंग का संबंध गुप्तगंगा से है।

मंदिर का निर्माण लगभग 250 वर्ष पहले हुआ था। यह मंदिर आसनबनी के साधुडेरा गांव में स्थित है। कालेश्वर मंदिर में जोड़ा शिवलिंग है। सावन के शुरु होते ही भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां पूजा करने के लिए दूर- दूर से लोग आते है।

मुर्गा महादेव

मुर्गा महादेव मन्दिर कोल्हान की सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। मंदिर में पूजा के लिए झारखंड के साथ ही ओड़िशा और बंगाल के लोग भी पूजा करने आते है। मुर्गा महादेव मंदिर में सावन माह में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। इस बार भी सावन माह को लेकर यहां विशेष तैयारी की गई है।

स्थानीय लोगों के अनुसार मंदिर का निर्माण बहुत पहले उडीसा के जोड़ा प्रखंड के एक दम्पति ने कराया था। पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए दम्पति ने मंदिर बनाया था। हालांकि अब मंदिर बहुत बड़ा व प्रसिद्ध हो चुका है। यहाँ सालों भर लोग भगवान के दर्शन करने आते है।

मान्यता यह है कि जो भी दम्पति को पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं होती है, यहाँ पूजा करने से उनकी मुराद पूरी हो जाती है। स्थानीय लोगों के अनुसार अंग्रेज शासनकाल में अग्रेज शिवलिंग को चुराने का प्रयास किया था, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाए ।

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जोयदा बूढ़ा बाबा शिव मंदिर

जोयदा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। जमशेदपुर से लगभग 35 किलोमीटर पर स्थित इस मंदिर का विशेष महत्व है। यह मंदिर जमशेदपुर रांची हाइवे के नजदीक सुवर्णरेखा नदी के तट के पास स्थित है। यह मंदिर भव्य होने के साथ मनमोहक भी है। यहाँ जाने के लिए पक्की सड़क का निर्माण किया गया है।


यहाँ शिव मंदिर झारखंड, बिहार, बंगाल और उड़ीसा में प्रसिद्ध है। पर्यटन विभाग द्वारा पूरे मंदिर का कायाकल्प भी कराया गया है। मंदिर परिसर में प्राचीन शिवलिंग विराजमान है। साथ ही माँ पार्वती, नंदी, हनुमान जी का भी प्रतिमाएं है। स्थानीय लोगों के अनुसार सावन माह में भक्तों की बहुत भीड़ होती है। इसका निर्माण ईचागढ़ के राजा विक्रमादित्य देव ने बनाया था।

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