पटना /बिहार सरकार का मंत्रियों के निजी सचिवों पर शिकंजा :बिहार सरकार ने प्रशासनिक सेवाओं के माध्यम से चुने गये अधिकारियों के अलावा राज्य में मंत्रियों के निजी सचिवों के रूप में काम कर रहे लोगों को सलाह दी है कि वे संबंधित विभागों के कामकाज में हस्तक्षेप ना करें।
बिहार सरकार का मंत्रियों के निजी सचिवों पर शिकंजा
बिहार के मुख्य सचिव अमिर सुभानी ने शुक्रवार को सभी विभागों के सभी अतिरिक्त मुख्य सचिवों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि ऐसे निजी सचिव विभाग के अधिकारियों के साथ लिखित या मौखिक संवाद करने से बचें और स्वयं को मंत्री के गैर-सरकारी कार्यों तक ही समिति रखें।
मंत्री के निर्देश पर कर सकेंगे अंतर-विभागीय संवाद
मुख्य सचिव ने पत्र में लिखा है कि निजी सचिवों (प्रशासनिक सेवा) और निजी सचिवों (निजी) को कार्य आवंटन से संबंधित स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं होने के कारण रोजाना के कामकाज में उनकी भूमिका तय करना मुश्किल हो रहा है।
उसमें लिखा है कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह तय किया गया है कि निजी सचिव (प्रशासनिक सेवा) मंत्री के निर्देश पर संबंधित मंत्री या विभाग की ओर से सभी अंतर-विभागीय संवाद करेंगे, क्योंकि निजी सचिव (प्रशासनिक सेवा) सरकारी अधिकार हैं, संबंधित मंत्री के निर्देश पर वे विभागीय फाइलों के लिए भी जिम्मेदार होंगे।
विभागीय अधिकारियों के साथ नहीं करेंगे लिखित संवाद
पत्र में निजी सचिव (निजी) का कामकाज स्पष्ट करते हुए उन्होंने लिखा है कि चूंकि वह एक निजी कर्मचारी है, वह मंत्री के दौरों और बाहर होने वाले राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए जिम्मेदार होगा। वह मंत्री के गैर-विभागीय नियुक्तियों के भी जिम्मेदार होगा। उन्हें विभागीय अधिकारियों के साथ लिखित और मौखिक संवाद से बचना चाहिए और स्वयं को मंत्री के गैर-सरकारी कार्यो तक ही समिति रखना चाहिए। वे विभागीय अधिकारियों के साथ किसी प्रकार का लिखित संवाद नहीं करेंगे।
शिक्षा मंत्री से विवाद के बाद उठाया कदम
बिहार शिक्षा विभाग ने हाल के महीने में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के तत्कालीन निजी सचिव (निजी) को विभाग के कार्यालय में प्रवेश देने से इंकार कर दिया था। निजी सचिव (निजी) ने पांच जुलाई को अतिरिक्त मुख्य सचिव केके पाठक को पत्र लिखकर कहा कि मंत्री ने हालिया घटनाक्रम को लेकर अप्रसन्नता जतायी थी जिनमें यह देखा गया था कि विभाग के बारे में मीडिया में तमाम नकारात्मक खबरें आ रही हैं।
यहां तक कि मंत्री के पास पहुंचने से पहले ही आधिकारिक पत्र और विभागीय संवाद (पत्र/परिपत्र) मीडिया में लीक हो रहे हैं। यह जन सेवकों के कामकाज के नियमों के विरूद्ध है। विभाग ऐसे अधिकारियों की पहचान करे और समुचित अनुशासनात्मक कार्रवाई करे। लगातार नकारात्मक खबरों से मंत्री नाराज हैं और वह अधिकारियों के बीच मौजूद रॉबिनहुड और अभिनय करने वालों को दंडित करना चाहते हैं।
निजी सचिवों के अधिकारों पर चली कैची
निजी सचिव के पत्र पर कड़ी आपत्ति जताते हुए विभाग ने अपने उत्तर में कहा कि आपको (निजी सचिव-निजी) सरकारी अधिकारियों को पत्र भेजने से पहले प्रक्रिया के बारे में सीखना चाहिए। आपको अतीत में भी बताया गया है कि आपको सरकारी अधिकारियों के साथ सीधा संवाद करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। लेकिन ऐसे बेकार पत्र लिखकर बिना सोचे समझे आप सरकारी अधिकारियों का समय बर्बाद कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि आपके पास मंत्री से जुड़ा कोई काम नहीं है।