बेतिया: जहां एक ओर देशभर में बड़ी संख्या में लोग सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए तरह-तरह की कोशिशें करते हैं, वहीं बिहार के बेतिया जिले के एक मुस्लिम परिवार ने समाज के सामने एक अनूठी और प्रेरणादायक मिसाल पेश की है। इस परिवार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत मिलने वाले मकान का लाभ यह कहकर लौटा दिया कि अब उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो चुकी है और यह लाभ किसी जरूरतमंद को मिलना चाहिए।
अफसर हुसैन ने लौटाया योजना का लाभ
बेतिया जिले के नौतन प्रखंड की जगदीशपुर पंचायत वार्ड संख्या 12 के निवासी अफसर हुसैन, जो वर्तमान में नौतन प्रखंड के उपप्रमुख भी हैं, ने अपनी पत्नी रेशमा सिद्दीकी और मां नूरजन्नत खातून के नाम स्वीकृत दो आवास योजनाओं को लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने संबंधित बीडीओ शैलेंद्र सिंह को आवेदन देकर योजना से नाम वापस लेने की अपील की।
2019 में किया था आवेदन, अब बदली स्थिति
अफसर हुसैन ने बताया कि वर्ष 2019 में उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसीलिए उनकी पत्नी और मां ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन किया था। दोनों का नाम प्रतीक्षा सूची में शामिल कर लिया गया था। इस योजना के तहत उन्हें 2025 में मकान का लाभ मिलने वाला था। लेकिन इस बीच अफसर हुसैन ने सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में प्रगति की और नौतन प्रखंड के उपप्रमुख बन गए। इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो गई।
‘अब हमें इसकी जरूरत नहीं’ – अफसर हुसैन
अपने निर्णय के बारे में बताते हुए अफसर हुसैन ने कहा,
“2019 में मेरे हालात कुछ ठीक नहीं थे। जिस वजह से मेरी पत्नी और मां का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में आया था। अब मेरी आर्थिक स्थिति बेहतर है। इसलिए मैंने खुद योजना का लाभ लेने से इनकार कर दिया। अगर सभी सक्षम लोग ऐसा सोचें, तो झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले तमाम बेघरों को छत मिल सकती है।”
बीडीओ ने की तारीफ, बताया प्रेरणादायक कदम
इस फैसले की सराहना करते हुए बीडीओ शैलेंद्र सिंह ने कहा,
“अफसर हुसैन ने एक मिसाल कायम की है। वह खुद हमारे पास आए और योजना का लाभ वापस करने की बात कही। वह इस प्रखंड के उपप्रमुख भी हैं और वैसे भी उन्हें यह लाभ नहीं लेना चाहिए था। लेकिन उन्होंने नैतिक रूप से जो कदम उठाया है, वह समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है।”
क्या है प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)?
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब और बेघर परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराना है।
- मैदानी क्षेत्रों में प्रति मकान 1.20 लाख रुपये
- पहाड़ी क्षेत्रों में प्रति मकान 1.30 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है।
- साथ ही, शौचालय निर्माण हेतु 12,000 रुपये अतिरिक्त दिए जाते हैं।
- यह सहायता तीन किस्तों में दी जाती है और सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाती है।
- योजना का लाभ 2011 की जनगणना और आवास प्लस सर्वे के आधार पर पात्र लोगों को मिलता है।
समाज को मिला सकारात्मक संदेश
अफसर हुसैन का यह कदम यह दर्शाता है कि यदि लोग अपने भीतर नैतिकता और समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव रखें, तो सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंच सकता है। यह कार्य सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि एक सामाजिक उदाहरण है, जिससे समाज के अन्य सक्षम लोगों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।