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Bihar Baby Heart Surgery : बिहार में डॉक्टरो ने रचा गया इतिहास, मात्र 2.5 किलो के शिशु की सफल हृदय सर्जरी

वह न केवल जन्मजात हृदय दोष (Patent Ductus Arteriosus - PDA) से पीड़ित था, बल्कि उसे निमोनिया, एनीमिया और गंभीर संक्रमण जैसी कई जटिल बीमारियां भी थीं।

by Reeta Rai Sagar
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Patna (Bihar): महावीर वात्सल्य अस्पताल, पटना के डॉक्टरों ने एक बार फिर चिकित्सा जगत में एक नया अध्याय लिख दिया है। बिहार में पहली बार, महज 2.5 किलोग्राम वज़न वाले एक नवजात शिशु की जटिल हृदय सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न हुई है। यह अभूतपूर्व और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया महावीर मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित महावीर वात्सल्य अस्पताल में की गई, जो बच्चों के जटिल हृदय रोगों के इलाज के लिए बिहार के अग्रणी संस्थानों में से एक है।

2.5 किलो के बच्चे की धड़कनें बचीं

चार महीने का यह नाजुक शिशु जब दरभंगा से गंभीर हालत में महावीर वात्सल्य अस्पताल लाया गया, तो जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहा था। वह न केवल जन्मजात हृदय दोष (Patent Ductus Arteriosus – PDA) से पीड़ित था, बल्कि उसे निमोनिया, एनीमिया और गंभीर संक्रमण जैसी कई जटिल बीमारियां भी थीं। आगमन पर, नवजात को तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया और उसकी स्थिति अत्यंत नाजुक बनी हुई थी।

एक जन्मजात हृदय की चुनौती

पैटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (PDA) एक ऐसी जन्मजात हृदय बीमारी है, जिसमें हृदय और फेफड़ों के बीच स्थित एक महत्वपूर्ण रक्त वाहिका जन्म के बाद भी खुली रह जाती है। इसके कारण शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है, और यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यह स्थिति शिशु के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

डॉक्टरों की टीम का अथक प्रयास, जीवन बचाने की हर मुमकिन कोशिश

शिशु की गंभीर हालत को देखते हुए, डॉक्टरों की टीम ने तुरंत इमरजेंसी उपचार शुरू किया। उसे दो बार रक्त चढ़ाया गया और खतरनाक संक्रमण तथा निमोनिया का गहन इलाज किया गया। इन प्रयासों के बाद, बच्चे का वज़न थोड़ा बढ़कर 2.5 किलोग्राम तक पहुंचा, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती अभी भी बरकरार थी—उसके हृदय में मौजूद छेद को सुरक्षित रूप से बंद करना।

संस्थान के निदेशक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद और हृदय रोग विभाग के प्रमुख डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि शिशु में कुछ सिंड्रोमिक फीचर्स (जन्मजात विकृतियाँ) भी देखी गईं, जिसके कारण ओपन हार्ट सर्जरी करना अत्यधिक जोखिम भरा माना जा रहा था। ऐसी नाजुक स्थिति में, डॉक्टरों ने एक वैकल्पिक और आधुनिक उपाय चुना—ट्रांसकैथेटर डिवाइस क्लोजर, जो एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है।

मिनिमल इनवेसिव तकनीक से मिली नई जिंदगी

अत्याधुनिक ट्रांसकैथेटर डिवाइस क्लोजर तकनीक के माध्यम से, डॉक्टरों ने बिना छाती खोले ही शिशु के हृदय के दोष को सफलतापूर्वक बंद कर दिया। ऑपरेशन के बाद, शिशु ने न केवल स्तनपान करना शुरू कर दिया, बल्कि वह सामान्य बच्चों की तरह रोने और प्रतिक्रिया देने भी लगा, जो उसकी तेजी से हो रही स्वास्थ्य सुधार का स्पष्ट संकेत है। डॉक्टरों ने खुशी जताते हुए बताया कि शिशु को अगले एक-दो दिनों में अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

कम खर्च में उच्च गुणवत्ता वाली सर्जरी

महावीर वात्सल्य अस्पताल बच्चों की हृदय सर्जरी के लिए बिहार का एक प्रमुख और भरोसेमंद केंद्र बनकर उभरा है। जहां इसी तरह की जटिल सर्जरी अन्य निजी अस्पतालों में ₹1.5 लाख से ₹2 लाख तक के भारी खर्च पर होती है, वहीं इस अस्पताल में यह जीवनरक्षक प्रक्रिया मात्र ₹80,000 में संपन्न की गई। अस्पताल का मुख्य उद्देश्य गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को भी उच्च गुणवत्ता वाली कार्डियक केयर सुलभ कराना है।

बिहार में पहली बार ऐतिहासिक हृदय सर्जरी

डॉ. प्रभात कुमार ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि यह बिहार में पहली बार है जब इतने कम वज़न वाले नवजात शिशु की हृदय सर्जरी सफलतापूर्वक की गई है। महावीर वात्सल्य अस्पताल नियमित रूप से जन्मजात हृदय रोगों से पीड़ित बच्चों का इलाज करता है और इस दिशा में निरंतर नई ऊंचाइयों को छू रहा है।

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