धनबाद : एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर के इमरजेंसी में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कमलेश उरांव के मारपीट की घटना के बाद डॉक्टर समुदाय में गुस्सा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और झारखंड हेल्थ सर्विस एसोसिएशन (झासा) के पदाधिकारी ने शुक्रवार 22 सितंबर को राज्य के सभी सरकारी और गैर-सरकारी चिकित्सा कार्य बहिष्कार पर जाने की घोषणा कर दी है।
इस बाबत धनबाद में भी दोनों संगठनों के पदाधिकारी की बैठक हुई। जिला अध्यक्ष डॉ मेजर चंदन ने बताया कि धनबाद में भी कार्य बहिष्कार रहेगा। कोई भी डॉक्टर ओपीडी सेवा में नहीं जाएंगे। सरकारी और निजी अस्पताल दोनों जगह कार्य बहिष्कार रहेगा। उन्होंने बताया कि इस दौरान इमरजेंसी सेवाएं चलती रहेगी।
झारखंड में 13000 सरकारी गैर सरकारी चिकित्सक कर रहे हैं विरोध
डॉक्टर ने बताया कि झारखंड में लगभग 13000 सरकारी और गैर सरकारी चिकित्सा सेवा दे रहे हैं। धनबाद में लगभग 700 से ज्यादा सरकारी और गैर सरकारी चिकित्सक हैं। सुबह 6:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक किसी भी प्रकार से मरीजों को नहीं देखा जाएगा।
इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को ही केवल देखा जाएगा। डॉ चंदन ने बताया कि आए दिन डॉक्टर पर हमले हो रहे हैं। 10 वर्षों से ज्यादा समय से डॉक्टर समुदाय राज्य में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन केवल सरकार आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दे रही है।
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हर दिन डॉक्टर समुदाय प्रताड़ित हो रहा है। जमशेदपुर में जिस तरह से घटना हुई है, यह काफी निंदनीय है। दोषी पर कार्रवाई नहीं हुई, तो इससे भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा। दूसरी ओर शिशु रोग विशेषज्ञ के संगठन ने भी घटना पर एतराज जताया है, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जितेश रंजन ने बताया कि इस तरह की घटना निंदनीय है। इस पर अंकुश लगना चाहिए।