नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ गया है। केंद्र सरकार इसे अगले वर्ष से लागू करने की तैयार कर रही है। इसकी जानकारी खुद केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी ने दी है।
उत्तर प्रदेश के ठाकुरनगर में मतुआ समुदाय को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम यानी CAA का फाइनल ड्राफ्ट अगले साल 30 मार्च तक तैयार कर लिया जाएगा ।
अगले साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लागू होगा CAA
इसके बाद इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। मिश्रा ने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में सीएए को लागू करने की प्रक्रिया में तेजी आई है। यह मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है फिलहाल इसमें कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिसे सुलझाया जा रहा है।
जानकार बताते हैं कि भारत में साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में मोदी सरकार अपने इस सबसे महत्वपूर्ण वादे को पूरा करते हुए दिखना चाहेगी। केंद्रीय गृहराज्यमंत्री का बयान इसी का हिस्सा है।
जानिए क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम:
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 की बात करें तो केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए इस कानून के तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम प्रवासी, इनमें भी 6 समुदाय (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है। इसके तहत भारत की नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 से 6 साल कर दिया गया। जबकि इससे पहले भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम 11 साल तक इस देश में रहना जरूरी था। ऐसे में नए कानून के तहत भारत के इन तीनों पड़ोसी देशों के 6 धर्मों के लोग पिछले एक से छह सालों में भारत आकर बसे हैं तो उन्हें भी भारत की नागरिकता मिल सकेगी।
किन पर लागू होता है नागरिकता संशोधन विधेयक 2019
नागरिकता संशोधन विधेयक उन्हें अपने आप नागरिकता नहीं देता है बल्कि अवैध प्रवासियों को आवेदन करने के लिए योग्य बनाता है। ये कानून उन लोगों पर लागू होगा जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे। इस कानून के तहत इन प्रवासियों को भारत की नागरिकता पाने के लिए आवेदन करना होगा।
नागरिकता पाने के लिए यह करना होगा जरूरी:
:: आवेदन करने वाले अवैध प्रवासियों को दिखाना होगा कि वो भारत में कम से कम पांच साल तक रह चुके हैं।
:: प्रवासियों को साबित करना होगा कि वे अपने देश से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हैं।
:: इसके साथ ही वो प्रवासी नागरिकता कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को पूरा करते हों।
:: इस अहम बातों की पुष्टि करने के बाद ही भारत सरकार किसी भी प्रवासी को लेकर निर्णय करेगी कि वो उन्हें इस देश की नागरिकता देंगे या नहीं।
इस कानून का होता रहा है विरोध:
केंद्र की मोदी सरकार ने जबसे नागरिकता संशोधन कानून बनाया है। इसका विरोध होता रहा है। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि इस कानून के तहत मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने की तैयारी है। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है। जब 2019 में यह कानून आया था उस समय देश के कई हिस्सों में बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था। दिल्ली के शाहीनबाग का प्रदर्शन भी उसमें से एक साथ। इस विरोध प्रदर्शन में खासकर मुस्लिम समुदाय की नाराजगी देखने को मिली थी।
यह है सरकार का तर्क:
इस कानून पर गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 2020-21 के लिये अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 एक सहानुभूतिपूर्ण और सुधारात्मक कानून है और यह किसी भी भारतीय को नागरिकता से वंचित नहीं करता है।
क्या हैं सीएए की चुनौतियां:
:: जानकार बताते हैं कि नागरिकता संशोधित अधिनियम साल 1985 के असम समझौते का खंडन करता है, इस समझौते में कहा गया है कि 25 मार्च, 1971 के बाद बांग्लादेश से आने वाला कोई भी अवैध प्रवासी, चाहे वो किसी भी धर्म के हों, को निर्वासित कर दिया जाएगा।
:: आंकड़ों की मानें तो इस समय असम में 20 मिलियन के आस-पास अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। ये प्रवासी राज्य के संसाधनों और अर्थव्यवस्था पर दबाव डालने के अलावा राज्य की जनसांख्यिकी को अनिवार्य रूप से परिवर्तित करते हैं।
:: भारत में कई ऐसे शरणार्थी हैं जिनमें तमिल, म्यांमार और श्रीलंका के रोहिंग्या हिंदू शामिल हैं जो कि इस अधिनियम के दायरे में नहीं आते हैं। इसे सीसीए कानून की सबसे बड़ी खामी बताया जा रहा है।
2024 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा तैयार कर रही हिंदुत्व की पिच:
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा पूरी तरह से हिंदुत्व की पिच तैयार करने में जुटी है। अगले साल जनवरी में राम मंदिर में प्रभु श्रीराम के प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव के साथ ही इसकी शुरुआत हो जाएगी। इसमें खुद पीएम मोदी भी शामिल होंगे। इसके तुरंत बाद CAA के ड्राफ्टिंग का कार्य पूरा करने के साथ इसे केंद्र सरकार लागू कर देगी।
नागरिकता संशोधन कानून वैसे तो पूरे देश में लागू होने हैं लेकिन पिछली बार इसका विरोध ज्यादातर पूर्वोत्तर राज्यों, खासकर असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में हो किया गया। इसके एक कारण ये भी है कि ये राज्य बांग्लादेश की सीमा के काफी करीब हैं। विपक्षी पार्टियों और लोगों का मानना है कि वर्तमान की केंद्र सरकार हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करना चाहती है और इसलिए प्रवासी हिंदुओं के लिए भारत की नागरिकता लेकर यहां बसना आसान बनाना चाहती है।
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