सेंट्रल डेस्क। भारत कनाडा के रिश्तों के बीच चल रही है तल्खियों के बीच अब कनाडा सरकार ने नया फैसला लिया है। नौकरी औऱ पढ़ाई के इच्छुक छात्रों के लिए कनाडा सरकार की ओर से बुरी खबर है। 8 नवंबर को कनाडा की जस्टिन ट्रुडो सरकार ने अपनी बहु प्रचलित स्टूडेंट डायरेक्ट स्कीम प्रोग्राम को बंद कर दिया है। इसके बंद होते ही वहां फास्ट ट्रैक स्टडी परमिट प्रोग्राम भी खत्म हो गया है।
इस प्रोग्राम के तहत हजारों अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को जल्दी वीजा लेने में मदद मिलती थी। कनाडा सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय की वजह से लाखों छात्राओं को वीजा या वर्क परमिट के लिए अब लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है।
सख्ती और भी बढ़ा दी गई है
इसके साथ ही वीजा एप्लिकेशन प्रोसेस में भी सख्ती बढ़ा दी गई है। इतना ही नहीं पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद वर्क परमिट को लेकर छात्रों के लिए भाषा टेस्ट पहले से भी मुश्किल औऱ बेंचमार्क पहले से कठिन कर दिए गए है।
अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के मामले में पति-पत्नी के लिए वर्क परमिट लिमिटेड होंगे। बता दें कि कनाडा अपने अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा के क्षेत्र में फायदों को संतुलित करने की दशा में काम कर रहा है। आंकड़ों के अनुसार, 2023 में लगभग 8 लाख परमिट होल्डर कनाडा पहुंचे थे। इस बढ़े नंबर के कारण कनाडा में हाउसिंग व सर्विसेज पर दबाव बढ़ गया था।
40 फीसदी छात्र भारतीय
कहा जा रहा है कि कनाडा इसी दबाव को कम करने की कोशिश कर रहा है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने अगस्त में संसद में यह आंकड़ा जारी किया था कि 2024 में विदेश में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 13,35,878 है, जो कि 2023 में 13,18,955 थी। खबरों के अनुसार, सबसे अधिक छात्र (4,27000) कनाडा में ही पढ़ाई कर रहे है। कनाडा में पढ़ने वाले छात्रों में 40 प्रतिशत छात्र भारतीय है।
कैसे काम करता था फास्ट ट्रैक वीजा सिस्टम
2018 में कनाडा की इमिग्रेशन, शरणार्थी और नागरिकता विभाग ने एसडीएस को लांच किया था। इस सिस्टम का मकसद 14 देशों के लिए वीजा प्रक्रिया को आसान बनाना था, जिसमें भारत, चीन और फिलिपींस जैसे देश शामिल थे। इसके लिए 20,635 कनाडाई डॉलर का कनाडाई गारंटीड इंवेस्टमेंट सर्टिफिकेट (GIC) और अंग्रेजी या फ्रेंच भाषा में टेस्ट देना शामिल किया गया था। इस प्रोग्राम के तहत कुछ ही हफ्तों में वीजा मिल जाता था।