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Cash Row : जज यशवंत वर्मा पर महाभियोग की तैयारी तेज, अमित शाह और ओम बिरला के बीच महत्वपूर्ण बैठक

Cash Row : विपक्ष ने भी इस विषय को लेकर अपनी सक्रियता दिखाई है। राज्यसभा में विपक्ष की ओर से एक समान प्रस्ताव पेश किया गया है।

by Anurag Ranjan
Justice Yashwant Verma faces impeachment motion in Parliament amid corruption allegations
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नई दिल्ली : इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संसद (Cash Row) में पेश करने की प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है। मंगलवार को इस सिलसिले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से उनके निवास पर मुलाकात की। माना जा रहा है कि यह बैठक जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के प्रस्ताव पर गंभीर चर्चा के लिए थी।

इससे पहले सोमवार को संसद भवन स्थित लोकसभा अध्यक्ष कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी जिसमें सरकार के वरिष्ठ मंत्री, विशेष रूप से संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, शामिल हुए थे। रिजिजू ने बताया कि प्रस्ताव पर अब तक 152 सांसदों के हस्ताक्षर हो चुके हैं, जो विभिन्न दलों से हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस संवेदनशील विषय को लेकर गंभीर है।

विपक्ष भी एक्टिव मोड में

विपक्ष ने भी इस विषय को लेकर अपनी सक्रियता दिखाई है। राज्यसभा में विपक्ष की ओर से एक समान प्रस्ताव पेश किया गया है। अब दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – में समन्वय के साथ कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। हालांकि सूत्रों की मानें तो मुख्य प्रक्रिया लोकसभा में ही आगे बढ़ाई जाएगी।

Cash Row : क्या हैं आरोप?

जस्टिस वर्मा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि अभी तक इस मामले से संबंधित ठोस सबूत और दस्तावेज सार्वजनिक नहीं हुए हैं, लेकिन यह बात स्पष्ट हो गई है कि मामला न्यायपालिका की गरिमा और निष्पक्षता से जुड़ा है। इसी के चलते उनके खिलाफ अनुच्छेद 124(4) के तहत महाभियोग प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

महाभियोग की प्रक्रिया क्या है?

भारतीय संविधान के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के किसी भी जज को हटाने के लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित होना चाहिए। इसके बाद यह प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा जाता है, जो अंतिम स्वीकृति प्रदान करते हैं।

Cash Row : भारत में दुर्लभ प्रक्रिया

गौरतलब है कि भारत में जजों के खिलाफ महाभियोग चलाने के प्रयास बहुत कम बार सफल हुए हैं। यह एक संविधानिक रूप से अत्यंत संवेदनशील मामला होता है, इसलिए इस प्रक्रिया में हर कदम सावधानी और कानूनी प्रक्रिया के तहत उठाया जा रहा है। सरकार, विपक्ष और न्यायपालिका इस पूरे घटनाक्रम को बारीकी से देख रहे हैं।

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