नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए सोमवार, 12 मई 2025 को भारतीय सेना के महानिदेशक (सैन्य संचालन) (DGMO) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने पाकिस्तान के साथ एक और डीजीएमओ-स्तरीय वार्ता की घोषणा की है। यह वार्ता दोपहर 12 बजे निर्धारित की गई है।
10 मई को समझौता और पाकिस्तान द्वारा उल्लंघन
शनिवार, 10 मई को, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पुष्टि की थी कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने उनके भारतीय समकक्ष से संपर्क किया था। दोनों पक्षों ने 5 बजे से सभी सैन्य क्रियाओं को रोकने पर सहमति व्यक्त की थी। हालांकि, समझौते के प्रभावी होने के कुछ ही घंटों बाद, पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी और ड्रोन घुसपैठ की घटनाओं ने इस समझौते का उल्लंघन किया। भारत ने इसे गंभीर उल्लंघन मानते हुए पाकिस्तान से स्पष्टीकरण मांगा है।
ऑपरेशन सिंदूर और बढ़ता तनाव
भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान नियंत्रित कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर हमले किए थे। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना के राफेल विमान, स्कैल्प मिसाइलों और एएएसएम बमों का उपयोग किया गया। भारत ने दावा किया कि इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जबकि पाकिस्तान ने 40-50 भारतीय सैनिकों की मौत का दावा किया। इसके बाद, दोनों देशों के बीच सीमा पर भारी गोलाबारी और ड्रोन गतिविधियाँ बढ़ गईं, जिससे नागरिकों की जान-माल का नुकसान हुआ।
पाकिस्तान का जलवायु समझौते पर जोर
पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्री मियां मोहम्मद मुईन वट्टू ने सोमवार को होने वाली वार्ता में सिंधु जल समझौते (IWT) को एजेंडे में शामिल करने की बात की है। भारत ने 23 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस समझौते को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान ने जल आपूर्ति में 90% की कमी का दावा किया है। भारत ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
भारत की सैन्य तैयारियाँ और चेतावनी
डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने रविवार को कहा कि भारतीय सेना को पाकिस्तान की ओर से किसी भी नई सैन्य गतिविधि का मुकाबला करने के लिए पूरी स्वतंत्रता दी गई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से किए गए उल्लंघनों के बावजूद, भारत की सेना पूरी तरह से चौकस है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
भविष्य की दिशा और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका ने इस संघर्ष में मध्यस्थता की पेशकश की है, जबकि भारत ने द्विपक्षीय मुद्दों को सीधे बातचीत के माध्यम से हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने संघर्ष विराम की आवश्यकता पर बल दिया है, लेकिन दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी और कश्मीर मुद्दे पर असहमति के कारण स्थायी शांति की संभावना धुंधली है।
यह स्थिति दोनों देशों के लिए गंभीर सुरक्षा और कूटनीतिक चुनौतियां प्रस्तुत करती है। आने वाली डीजीएमओ-स्तरीय वार्ता दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और शांति स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।