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जिन हालातों में लोग जी रहे हैं, वो लोगों को ‘पढ़ने’ के महत्व से दूर धकेल रहा है: David Anshen

उन्होंने अपनी किताब के महत्वपूर्ण पहलुओं की समझाते हुए कहा, "शिक्षा वो विचार है, जिसका उद्देश्य लोगों को पढ़ने, सोचने और समझने का मौका दे, लेकिन आज उसी 'शिक्षा' को अलग-अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।"

by Priya Shandilya
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‘छाप’ इनॉगरल लिटरेचर फेस्टिवल को देशभर से आमंत्रित कई मशहूर लेखकों ने अलंकृत किया है। कार्यक्रम की शुरुआत पुष्पेश पंत द्वारा किताबों से उनके रिश्ते पर दो शब्द से हुई। इस कड़ी को आगे बढ़ाया प्रोफेसर डेविड एंशेन ने, जिन्होंने किताबों को विश्लेषण और आलोचनात्मक तरीके से पढ़ना क्यों जरूरी है, इसपर प्रकाश डाला।

उन्होंने अपनी किताब के महत्वपूर्ण पहलुओं की समझाते हुए कहा, “यह किताब, किताबों को विश्लेषण और आलोचनात्मक ढंग से पढ़ने पर जोर देती है, ताकि हम समाज की महत्ता समझें और ये समझें कि आज जिन हालातों में लोग जी रहे हैं, वो लोगों को ‘पढ़ने’ के महत्व से दूर धकेल रहा है। चाहे वह उच्च शिक्षा, साइंस या टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ती प्राथमिकता क्यों ना हो। ‘शिक्षा’ वो विचार है, जिसका उद्देश्य लोगों को पढ़ने, सोचने और समझने का मौका दे, लेकिन आज उसी ‘शिक्षा’ को अलग-अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।” डेविड ने कार्यक्रम में आमंत्रित किए जाने पर आभार जताते हुए आगे कहा, “इस कार्यक्रम में बुलाए जाने के लिए मैं बहुत आभारी हूं। उम्मीद है कि यह इवेंट ‘किताब पढ़ने’ के महत्व को बढ़ावा देगा, क्योंकि यह इंसानी अनुभव का एक अहम हिस्सा है और दुनिया को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है। धन्यवाद।”

कौन हैं डेविड एंशेन?

डेविड एंशेन, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास ग्रैंड रियो वैली, (USA) के एसोसिएट प्रोफेसर और कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) के विजिटिंग स्कॉलर हैं। उन्हें अपनी किताब ‘मार्क्सिस्ट लिटरेरी एंड कल्चरल थ्योरी’ के लिए जाना जाता है। यह किताब साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन में मार्क्सवादी सिद्धांत और उसके अमल का परिचय है।

दो दिवसीय इवेंट का उद्देश्य

‘छाप’ इनॉगरल लिटरेचर फेस्टिवल सराईकेला-खरसावां और साहित्य कला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में ऑटो क्लस्टर, आदित्यपुर के सभागार में आयोजित किया गया है। यह दो दिवसीय बुकफेस्ट राज्य के युवाओं को साहित्य, कला और संस्कृति से जोड़ने का एक अनूठा प्रयास है। 18 और 19 अक्टूबर 2024 को आयोजित इस बुकफेस्ट का उद्देश्य कला, संस्कृति और किताबों के जरिए समाज के सभी वर्गों को लोकतंत्र में अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए जागरूक करना है। ‘छाप’ में झारखंड सहित देशभर के प्रतिष्ठित लेखक, साहित्यकार, और कलाकार शामिल होंगे, जो हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, बांग्ला, ओड़िया और संथाली भाषाओं में अपनी पुस्तकों और विचारों को प्रस्तुत करेंगे।

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