फीचर डेस्क : चैत्र नवरात्रि, जो हर साल चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है, विशेष धार्मिक महत्व रखती है। यह नवरात्रि महापर्व मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन विशेष रूप से व्रत और उपासना की जाती है, और इसे विशेष रूप से आध्यात्मिक उन्नति और इच्छाओं की पूर्ति के लिए अहम माना जाता है। नवरात्रि का यह पर्व भारत में हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि त्रेता युग में भगवान राम ने इस पर्व से जुड़ा पहला व्रत रखा था? आइए, जानें एक ऐसी कथा, जो नवरात्रि और राम के जीवन से जुड़ी है और उनके द्वारा माता चंडी के चरणों में अपनी आंख अर्पित करने की अद्भुत घटना के बारे में।
राम का नवरात्रि व्रत: एक पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में भगवान राम ने रावण से युद्ध करने से पहले मां दुर्गा की पूजा करने के लिए चैत्र नवरात्र का व्रत रखा था। यह व्रत उन्होंने ऋष्यमूक पर्वत पर चढ़ने से पहले किया था, जब वह किष्किंधा की ओर जा रहे थे। शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत भगवान राम ने पहली बार किया था और तब से नवरात्र के दिन व्रत रखने की परंपरा शुरू हुई।
ब्रह्मा जी का सुझाव और 108 नीलकमल की पूजा
राम को यह व्रत रखने का सुझाव ब्रह्मा जी ने दिया था। ब्रह्मा जी ने श्रीराम से कहा कि नवरात्र के दौरान देवी चंडी की पूजा करने से उन्हें आध्यात्मिक शक्ति और रावण पर विजय प्राप्त होगी। इसके लिए राम को 108 नीलकमल के फूलों से पूजा करनी थी, जो अत्यंत दुर्लभ होते थे। राम ने अपनी सेना के साथ मिलकर इन फूलों को इकट्ठा किया। लेकिन रावण अपनी मायावी शक्तियों से राम के कार्यों को रोकने की कोशिश कर रहा था। उसने इन फूलों को गायब कर दिया।
प्रभु राम की भक्ति और चंडी माता का आशीर्वाद
राम ने जब पूजा के बाद फूलों को देवी को चढ़ाने के लिए निकाला, तो देखा कि टोकरी में एक फूल कम था। यह देखकर भगवान राम चिंतित हो गए। फिर उन्होंने एक अद्भुत निर्णय लिया – उन्होंने अपनी एक आंख निकालकर उसे देवी को अर्पित कर दिया। जैसे ही राम ने तीर उठाया, माता चंडी प्रकट हुईं और उनकी भक्ति देखकर खुश हो गईं। देवी ने राम को विजय का आशीर्वाद दिया और कहा कि वह रावण से युद्ध में सफल होंगे।
चैत्र नवरात्रि का महत्व और रामनवमी
यह घटना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके बाद से ही नवरात्रि के नौवें दिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। रामनवमी का दिन भगवान राम की पूजा और उनकी जीवनगाथा के महत्त्व को दर्शाता है। यह दिन विशेष रूप से उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। साथ ही, यह व्रत और पूजा की परंपरा का प्रतीक बन गया, जो आज भी पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है।
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