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‘चंपारण मटन’ ऑस्कर की रेस में, जानें बिहार के फिल्म मेकर रंजन कुमार की इस शॉर्ट फिल्म के बारे में

by Rakesh Pandey
'चंपारण मटन' ऑस्कर की रेस में, यह एक शॉर्ट फिल्म है और ऑस्कर के स्टूडेंट अकेडमी अवार्ड 2023 के सेमीफाइनल में पहुँच चुकी है, मुजफ्फरपुर की फलक ने निभाई है मुख्य भूमिका, इस फिल्म का चयन दुनिया भर की कुल 17 सौ फिल्मों में से चुना गया है, सभी फिल्मों का चयन कुल दुनिया भर की 1700 फिल्मों मे से चुनी गई है
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एंटरटेनमेंट डेस्क : एक फिल्म की चर्चा पूरे देश भर में हो रही है। इस फिल्म का नाम “चंपारण मटन” है। यह एक शॉर्ट फिल्म है और ऑस्कर के स्टूडेंट अकेडमी अवार्ड 2023 के सेमीफाइनल में पहुँच चुकी है। पूरे मीडिया में इस फिल्मों की खूब चर्चा चल रही है। जो सिनेमा प्रेमियों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। फिल्म के निर्देशक रंजन कुमार ने किया है।

मुजफ्फरपुर की फलक ने निभाई है मुख्य भूमिका

फिल्म की मुख्य भूमिका में बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली फलक है। ऑस्कर की दौड़ में इस फिल्म की कलाकार फलक की भी चर्चा पूरे देश में हो रही है। इस फिल्म का चयन दुनिया भर की कुल 17 सौ फिल्मों में से चुना गया है। इसका निर्देशन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ पुणे के रंजन कुमार ने किया है।

सेमीफाइनल में कुल 16 फिल्मों में शामिल है “चंपारण मटन”

स्टूडेंट अकेडमी आवार्ड की अलग अलग चार श्रेणियां हैं। जिसमें चम्पारण मटन नैरेटिव कैटेगरी में चुनी गई है। जिसमें कुल 16 फिल्मों का चयन हुआ है। सभी फिल्मों का चयन कुल दुनिया भर की 1700 फिल्मों मे से चुनी गई है। जिसमें बेल्जियम, जर्मनी और अर्जेंटीना जैसे देशों की फिल्में शामिल है। यह अवार्ड हर साल दी जाती है। दुनिया भर के नये फिल्म मेकर्स को इस दिन का इंतजार रहता है। इस अवार्ड को पिछले 1972 से दिया जा रहा है और समय-समय पर अच्छी फिल्मों को पुरस्कृत भी किया जाता रहा है। इस दौड़ में इस बार “चंपारण मटन” को शामिल किया गया है।

फिल्म की कहानी क्या है?

ऑस्कर के सेमीफाइनल में स्थान बनाने वाली फिल्म “चंपारण मटन” की कहानी बिहार की है। इस फिल्म में मुख्य रूप से किसी भी परिस्थिति में हार न मानने वाले परिवार की कहानी है। फिल्म आधे घंटे की है। फिल्म बिहार के लोगों के अपने संस्कृति और परंपरा को निर्वहन करते हुए अपने रिश्तेदारी को कैसे निभाते है, इसके बारे में दिखाया गया है।
फिल्म की कहानी में एक परिवार को दिखाया गया है। जो कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूट जाने पर शहर से गांव लौट आता है। गांव में वह लोग किस प्रकार सीमित संसाधनों में जीवन यापन करते है। फिल्म की कहानी इमोशनल है। फिल्म इसी पर आधारित है।

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