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थरूर ने किया LDF पर तंज, कहा- ‘कम्युनिस्ट पार्टियाँ 21वीं सदी में प्रवेश करेंगी, लेकिन यह केवल 22वीं में हो सकता है’

कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता कहा कि राज्य में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना को अनुमति देकर राज्य सरकार ने अच्छा काम किया है। हालांकि यह 15-20 साल पहले ही हो जाना चाहिए था।

by Reeta Rai Sagar
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नई दिल्ली: केरल की LDF (Left Democratic Front) सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि एक दिन कम्युनिस्ट पार्टियां अंततः 21वीं सदी में प्रवेश करेंगी, लेकिन यह शायद 22वीं सदी में ही होगा।

यह टिप्पणी केरल विधानसभा द्वारा मंगलवार को केरल राज्य निजी विश्वविद्यालय (स्थापना और विनियमन) विधेयक, 2025 पारित करने के बाद की गई, जो CPI(M)- नीत सरकार की शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ लंबे समय से चली आ रही स्थिति में एक मोड़ है।

केरल में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना की अनुमति सराहनीय
थरूर ने कहा, तो केरल की एलडीएफ सरकार ने अंततः सही कदम उठाया है, राज्य में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना को अनुमति देकर। जैसा कि हमेशा होता है, यह निर्णय लगभग 15-20 साल देरी से आया है, जो आमतौर पर उन लोगों के साथ होता है जो 19वीं सदी की विचारधारा में बंधे होते हैं। थरूर ने अपने एक्स पोस्ट में कहा कि “कभी मत भूलिए कि जब भारत में कंप्यूटर आए थे, तो कम्युनिस्ट गुंडों ने सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यालयों में घुसकर उन्हें तोड़ दिया था।

आखिर नए बदलावों का लाभ किसे
आगे उन्होंने कहा कि “भारत में मोबाइल फोन के परिचय का विरोध करने वाली केवल वही पार्टियां थीं, जो कम्युनिस्ट थीं।” उन्हें वर्षों तक यह समझ में नहीं आया कि इन परिवर्तनों के असली लाभार्थी आम लोग थे, जिनके लिए वामपंथी पार्टियां दावा करती हैं, जिनके हक में बोलती हैं।
थरूर ने कम्युनिस्ट पार्टियों पर चुटकी लेते हुए कहा कि मुझे यकीन है कि वे एक दिन अंततः 21वीं सदी में प्रवेश करेंगे, लेकिन यह शायद 22वीं सदी में ही होगा! यह विधेयक सोमवार और मंगलवार को विस्तृत चर्चा के बाद ध्वनि मत से पारित किया गया।

विपक्ष के नेता ने किया विधेयक की समीक्षा का आग्रह
विपक्ष नेता वीडी सतीशन ने कहा कि यूडीएफ इस विधेयक का मूल रूप से विरोध नहीं कर रहा है, लेकिन उन्होंने सरकार से इसे लागू करने से पहले एक अध्ययन और समीक्षा करने का आग्रह किया। उन्होंने निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना में राज्य में दशकों से काम कर रहे विश्वसनीय कॉर्पोरेट शिक्षा एजेंसियों को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया।

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