रांची : झारखंड के इस शहर में प्लेटलेट्स की खपत काफी तेजी से बढ़ी है। जी हां। इस शहर का नाम जमशेदपुर है, जहां पर हर साल कोई न कोई बीमारी अपना कहर बरपाता है। इस बार डेंगू के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं। इसका नतीजा है कि जमशेदपुर ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स की मांग बढ़ गई है। सामान्य दिनों में प्रतिमाह करीब 600 यूनिट खपत होने वाली प्लेटलेट्स की मांग बढ़कर अब 2100 यूनिट तक पहुंच गई है।
यानी साढ़े तीन गुना अधिक। हालांकि, मरीजों की संख्या बढ़ने सेप्लेटलेट्स की मांग और भी बढ़ने की संभावना है। फिलहाल ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स पर्याप्त है। यहां कोल्हान के तीनों जिला पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम व सरायकेला-खरसावां से भी लोग प्लेटलेट्स लेने के लिए पहुंच रहे हैं। कोल्हान में अबतक 56 डेंगू मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। वहीं, लगभग आधे दर्जन संदिग्ध मरीजों का नमूना जांच के लिए भेजा गया है। इन मरीजों का इलाज टीएमएच, मर्सी, टिनप्लेट, टाटा मोटर्स व एमजीएम अस्पताल में चल रहा है।
एक व्यक्ति में चार लाख तक होती है प्लेटलेट्स
एक स्वस्थ व्यक्ति के एक घन मिलीलीटर खून में प्लेटलेट्स की संख्या डेढ़ लाख से चार लाख तक होती है। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगता है। जिसके कारण मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। प्लेटलेट्स का मुख्य कार्य शरीर में रक्त स्त्राव होने से रोकना है।
एफेरिसिस मशीन काफी लाभदायक
जमशेदपुर ब्लड बैंक में एफेरिसिस मशीन लगी है। इसके जरिए सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) विधि से प्लेटलेट्स निकाला जाता है। पहले इसके लिए तीन से चार डोनर का ब्लड लिया जाता था। फिर प्लेटलेट्स अलग किया जाता था। लेकिन अब एसडीपी ब्लड के जरिए एक घंटे में प्लेटलेट्स निकाल लिया जाता है। वहीं, डोनर के शरीर से ब्लड निकालकर मशीन में ले जाया जाता है वहां से प्लेटलेट्स अलग होकर मरीज के शरीर तक पहुंचता है और बाकी ब्लड दोबारा डोनर के शरीर में पहुंचाया जाता है। खास बात यह भी है कि प्लेटलेट्स देने वाला व्यक्ति 72 घंटे बाद दोबारा प्लेटलेट्स दे सकता है।
क्या है सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी)
इसमें डोनर और मरीज का ब्लड ग्रुप समान होना चाहिए। इसमें डोनर का तीन ब्लड टेस्ट, हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स, एचआइवी, एचसीवी, मलेरिया, हेपेटाइटिस जैसे सारे टेस्ट किए जाते हैं। डोनर का वजन और उसकी फिटनेस भी देखी जाती है।
डेंगू में प्लेटलेट्स तेजी से गिरता है। प्लेटलेट्स काउंट गिरने पर रोगी को ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है। इस दौरान तत्काल प्लेटलेट्स की जरूरत होती है।
डा. जुझार माझी, सिविल सर्जन।
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