महाकुम्भ नगर (प्रयागराज) : श्री काशी सुमेरु पीठाधिश्वर और जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने हाल ही में दिए गए साक्षात्कार में हिंदू धर्म, राजनीति और समाज के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने हिंदू परिवार नियोजन, वक्फ बोर्ड, लव जेहाद, गौहत्या और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय दी। उनके विचारों ने समाज में हलचल मचाई है, जिनमें कुछ विवादास्पद भी रहे हैं।
समान नागरिक संहिता पर शंकराचार्य का दृष्टिकोण
स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने समान नागरिक संहिता की वकालत की। उनका कहना था कि देश में सभी नागरिकों के लिए समान कानून होना चाहिए, जिससे किसी विशेष समुदाय को कोई विशेषाधिकार न मिले। उन्होंने विशेष रूप से समान न्याय कानून, समान शिक्षा और समान अधिकार की आवश्यकता पर जोर दिया।
Places of Worship Act पर सख्त आलोचना
स्वामी ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (1991) की आलोचना करते हुए इसे देश के लिए गलत बताया। उनके अनुसार, इस एक्ट की कोई आवश्यकता नहीं थी और इसे तुरंत समाप्त कर देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड द्वारा अपनी संपत्ति का दावा किया गया हिस्सा हिंदू समुदाय की संपत्ति है और इसे भारत सरकार के अधीन करना चाहिए।
लव जेहाद और मुस्लिम समाज पर विवादास्पद टिप्पणी
स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने लव जेहाद पर बात करते हुए कहा कि जो हिंदू लड़कियां अपना धर्म छोड़कर मुस्लिम लड़कों के साथ जाती हैं, वे जो भी भुगतती हैं, वह उसी की हकदार हैं। उनका यह बयान समाज में एक बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है, क्योंकि इसे कई लोग संवेदनशील और विवादित मानते हैं।
वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग
उन्होंने वक्फ बोर्ड को समाप्त करने की मांग की और कहा कि वक्फ बोर्ड की जितनी भी संपत्ति है, वह हिंदू धर्म की है और भारत की संपत्ति मानी जानी चाहिए। उनका मानना था कि सरकार को इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने चाहिए।
गौहत्या पर कड़े कानून की आवश्यकता
स्वामी ने गौहत्या रोकने के लिए केंद्रीय कानून बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उनके अनुसार, गाय की हत्या करने वालों को सख्त दंड मिलना चाहिए और उन पर आजीवन कारावास का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शहरों में कुत्ता पालने की अनुमति है, लेकिन गाय पालने की अनुमति नहीं दी जाती, यह एक बड़ी विडंबना है।
हिंदू आबादी बढ़ाने की आवश्यकता
स्वामी ने हिंदू समुदाय से परिवार नियोजन से परहेज करने का आह्वान किया। उनका मानना था कि हिंदू समाज को अपनी आबादी बढ़ानी चाहिए, क्योंकि यह जरूरी है कि हिंदू धर्म और संस्कृति का संरक्षण किया जाए।
शंकराचार्य का युवा पीढ़ी को संदेश
स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने युवा पीढ़ी को अपनी सनातन संस्कृति से जोड़ने के लिए शिक्षा को सबसे बड़ा उपाय बताया। उनका मानना था कि यदि हमारी शिक्षा पद्धति सनातन ग्रंथों और संस्कृति के साथ जुड़ी हो, तो युवा पीढ़ी स्वाभाविक रूप से अपने धर्म से जुड़ जाएगी।
संगम की पवित्र भूमि से संदेश
स्वामी ने संगम की पवित्र भूमि से देशवासियों को राष्ट्रवाद की ओर प्रेरित किया। उनका संदेश था कि लोग जाति, भाषा और प्रांत से ऊपर उठकर एक साथ रहें। उनका मानना था कि यही देश की सशक्तता और शांति का आधार होगा।