कोलकाता : West Bengal Anti Rape Law : विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने मंगलवार को एंटी रेप बिल विधानसभा में पेश किया, जो पास भी हो गया। वहीं विधेयक का नाम ‘अपराजिता महिला और बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक-2024’ दिया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे ऐतिहासिक विधेयक बताया है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बिल का समर्थन किया और जल्द से जल्द इसे लागू करने की मांग की। हालांकि, ममता बनर्जी ने एक दूसरी राजनीतिक लकीर खींच दी। उन्होंने समर्थन के अलावा भाजपा के विधायकों से कहा कि वे राज्यपाल से विधेयक पर हस्ताक्षर करने की भी दरख्वास्त करें।
इसके साथ ही ये पहल राज्य सरकार के कोलकाता स्थित आरजी कार मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में हुई दुखद घटना के बाद शुरू हुई है। वहीं इस कॉलेज में एक महिला डॉक्टर का बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद से देशभर में विरोध-प्रदर्शन चलता रहा और ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग होने लगी।
West Bengal Anti Rape Law : नाबालिग से बलात्कार के लिए भी सजा का प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस नाबालिग से बलात्कार के मामलों को तीन कैटेगरी में देखता है। इसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्ची के मामलों में कम से कम 20 साल की जेल या फिर फांसी का प्रावधान है। वहीं 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ रेप की स्थिति में कम से कम 20 साल की सजा या फिर उम्रकैद का प्रावधान है। वहीं 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ बलात्कार की स्थिति में उम्रकैद और मौत की सजा का प्रावधान है। पश्चिम बंगाल की सरकार ने नए कानून में इन सभी मामलों में एक ही सजा का प्रावधान किया है, जो उम्रकैद और फांसी तक जाती है। वहीं भारतीय न्याय संहिता से बहुत पहले 2013 में निर्भया रेप एंड मर्डर के ठीक बाद नाबालिगों से रेप को लेकर पॉक्सो कानून लाया गया था, जिसके तहत फौरन गिरफ्तारी का प्रावधान था।
वहीं अगर रेप के बाद पीड़िता की मौत हो जाती है या फिर वह कोमा जैसी स्थिति में पहुंच जाती है, तो भारतीय न्याय संहिता कम से कम 20 साल की सजा का प्रावधान है। इसको बाद इसे उम्रकैद औऱ फांसी की सजा के तौर पर बढ़ाया जा सकता है। वहीं पश्चिम बंगाल सरकार के नए कानून के मुताबिक ऐसी स्थिति, जहां बलात्कार की वजह से किसी की जान चली जाए या फिर पीड़िता कोमा में चली जाए, तो कानून बलात्कार के दोषियों के लिए फांसी की सजा सुनिश्चित करती है। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल सरकार का कानून बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के दोषियों के लिए उम्रकैद की सजा का प्रावधान करती है। यहां दोषी को सारी उम्र जेल में रखने की बात कही गई है।
West Bengal Anti Rape Law : कितने दिन में होगा केस का निपटारा
वहीं भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता रेप के मामलों में पुलिस को दो महीने में जांच पूरी करने का समय देती है। इसके साथ ही केंद्र सरकार के कानून में जांच पूरी नहीं होने पर 21 दिन का और समय मिलने का प्रावधान है। वहीं ममता बनर्जी सरकार की ओर से पास किया गया कानून इस हवाले से थोड़ा और सख्त नजर आता है, जहां डेडलाइन कम कर दी गई है। इसके मुताबिक रेप केस की जांच 21 दिनों में पूरी करनी होगी। इसे अधिकतम 15 दिन और बढ़ाया जा सकता है। वो भी तब, जब लिखित में इसका कारण केस डायरी में बताया जाए। इसी तरह कुल 36 दिन के भीतर मामले का निपटारा करने की बात की गई है।
वहीं रेप के मामलों में अक्सर पीड़िता की पहचान उजागर करने और कोर्ट की कार्यवाही छापने के भी मामले आते रहे हैं। भारतीय न्याय संहिता इसको लेकर पहले ही से सख्त थी, लेकिन ममता सरकार उससे भी एक कदम और आगे गई है। बीएनएस के तहत रेप-गैंगरेप की पीड़िता की पहचान उजागर करने, मंजूरी के बगैर कोर्ट से जुड़ी कार्यवाही छापने पर दोषी को 2 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान था। इसके साथ ही ममता सरकार ने नए बिल में ऐसे लोगों को कम से कम 3 साल और अधिकतम 5 साल सजा और जुर्माने का प्रावधान कर दिया है। वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने जिला स्तर पर स्पेशल टास्क फोर्स का प्रावधान कर चीजों को और सख्त बनाने की बात की है। इसका नाम ‘अपराजिता टास्क फोर्स’ रखा गया है, जिसका नेतृत्व डीएसपी के पास होगा। यही टास्क फोर्स तय समय के भीतर जांच पूरी करेगी।