नई दिल्ली : तकनीकी उन्नति के साथ डिजिटल भुगतान का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। इसके साथ साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन अपराधों का खतरा भी कई गुना बढ़ गया है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 70 लाख सिम कार्ड सस्पेंड करने का महत्वपूर्ण फैसला किया है। इसके तहत संबंधित लेनदेन वाले नंबरों पर कार्रवाई की गई है। नोटबंदी की तरह इसे भी तकनीकी अपराधों को रोकने की दिशा में बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है।
सिम कार्ड को लेकर एक्शन में क्यों आई सरकार:
केंद्र सरकार ने सिम कार्ड और फोन नंबर से जुड़े फ्रॉड की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह कदम उठाया है।
वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने इसकी घोषणा की। बताया कि यह कदम फ्रॉड को रोकने और ऑनलाइन प्रक्रियाओं को मजबूती देने का हिस्सा है। उन्होंने इस संदर्भ में बताया कि जनवरी 2024 में होने वाली अगली बैठक में वित्तीय साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।
साइबर धोखाधड़ी को रोकने का एक और कदम :
सरकार के इस फैसले को यूको बैंक में सामने आई खामियों से जोड़कर देखा जा रहा है। यूको बैंक के खाताधारकों के अकाउंट में गलत क्रेडिट रिपोर्टिंग के बाद सरकार ने तुरंत एक बैठक बुलाई। इसमें पाया गया कि इंस्टेंट पेमेंट सेवा के जरिए हुई गलत क्रेडिट रिपोर्टिंग के चलते लगभग 820 करोड़ रुपये गलत क्रेडिट हुए। इस घटना ने साइबर क्राइम के मामले के बारे में सरकार को गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया।
बीते कुछ सालों में साइबर फ्रॉड और इंटरनेट अपराधों में वृद्धि हो रही है। विभिन्न तकनीकी और योजनाएं लागू करने के बावजूद, फ्रॉड की संख्या में वृद्धि को देखते हुए सरकार को ऐसा कदम उठाना है। अब नए और सुरक्षित तंत्रों के साथ डिजिटल भुगतान को मजबूती देने का प्रयास किया जा रहा ताकि लोग सुरक्षित और विश्वसनीयता से ऑनलाइन लेन-देन कर सकें।
डिजिटल भुगतान के साथ संघर्ष:
डिजिटल भुगतान के साथ फ्रॉड का समस्या बढ़ने को लेकर आम आदमी के साथ-साथ सरकार भी चिंतित है। ऑनलाइन बैंकिंग, डिजिटल वॉलेट्स, यूपीआई, ईमेल प्रदान करने वाली सेवाएं और अन्य डिजिटल तंत्रों का उपयोग कर साइबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा है।
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