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Daya Nayak: होटल-प्लंबिंग से एनकाउंटर स्पेशलिस्ट तक, रियल लाइफ ‘सिंघम’ कैसे बनें दुश्मनों का खौफ

विश्राम सावंत की 2007 की फिल्म “रिस्क” दया नायक के जीवन से प्रेरणा ली गई है। 2010 में रिलीज हुई “गोलीमार” नामक एक तेलुगु फिल्म भी उनके जीवन से प्रेरित है।

by Priya Shandilya
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“दया नायक” जिन्हें उनके बेबाक काम और एनकाउंटर स्पेसलिस्ट की वजह से रियल लाइफ ‘सिंघम’ भी कहा जाता है, वे इंडियन लॉ इंफोर्स्मेंएट का जाना-माना चेहरा हैं। दया नायक ने हाल ही में गोली लगने से चोटिल हुए बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा से हॉस्पिटल में मुलाकात की। इससे पहले दया नायक को सलमान खान के घर के बाहर भी देखा गया था, जहां 24 अप्रैल 2024 को अज्ञात लोगों ने सलमान के घर पर गोलियां चलायी थी।

होटल और प्लंबिंग में किया काम

दया नायक का जन्म उडुपी जिले के करकला तालुक में स्थित येनेहोल गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह कोंकणी भाषी परिवार में पले-बढ़े और अपने दादा द्वारा स्थापित कन्नड़-माध्यम स्कूल में 7वीं कक्षा तक पढ़े। 1979 में, परिवार की मदद करने के लिए अपने पिता के सुझाव पर वह मुंबई चले गए थे।

मुंबई में, नायक ने एक होटल की कैंटीन में काम किया, जहां वह अक्सर बरामदे में सोया करते थे। अपनी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद, वह अपनी शिक्षा जारी रखने में कामयाब रहे और आठ साल बाद डी.एन. नगर के CES कॉलेज से ग्रेजुएट डिग्री प्राप्त की। डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने एक जगह प्लंबिंग का भी काम किया, जहां उन्हें रुपये 3,000 मासिक सैलरी मिलती थी। देश सेवा के जूनून ने उन्हें आखिरकार पुलिस में जाने के लिए प्रेरित किया, जिसके बाद वह एनकाउंटर स्पेसलिस्ट के रूप में जाने, जाने लगे।

कैसे बने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट?

नायक को बड़ा ब्रेक तब मिला जब उन्हें मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में प्रमोशन मिला। 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में, मुंबई को बहुत सारी गैंग वॉर का सामना करना पड़ा, जिसमें कई गैंग सत्ता के लिए लड़ रहे थे। नायक इन अपराधियों से निपटने के अपने सख्त दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। वह कई हाई-प्रोफाइल एनकाउंटर में शामिल थे, कई लोगों ने उनकी बहादुरी की प्रशंसा की और उन्हें एक नायक के रूप में भी देखते हैं।

अब तक 83 एनकाउंटर

दया नायक अभी तक कुल 83 एनकाउंटर कर चुके हैं। उन्होंने अपना पहले एनकाउंटर 31 दिसंबर की रात को किया था, जब उन्होंने एक मुठभेड़ के दौरान गोली चलाई थी। इस घटना के बाद, उन्हें गैंगस्टरों से निपटने के लिए केंद्रित एक स्पेशल फोर्स में ले जाया गया। 1997 में, नायक को एक गैंगस्टर द्वारा दो बार गोली मारे जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

नहीं पसंद “एनकाउंटर स्पेशलिस्ट” की उपाधि

दया नायक ने अक्सर “एनकाउंटर स्पेशलिस्ट” की उपाधि के प्रति अपनी असहमति व्यक्त की है, जिसमें कहा गया है कि वह कोई ऐसे व्यक्ति नहीं है जो हथियार का उपयोग करने में खुश होता है। इसके बजाय, उनका मानना ​​है कि उन्हें देश में हिंसा और अराजकता को रोकने के लिए गैंगस्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूरन हथियार उठाना पड़ता है।

अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने के आरोप

2003 में पत्रकार केतन तिरोडकर ने दया नायक पर मुंबई अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने और अवैध रूप से धन इकट्ठा करने का आरोप लगाया था। तिरोडकर ने दावा किया कि दया नायक 2002 में अंडरवर्ल्ड के दोस्त बन गए थे और साथ मिलकर जबरन वसूली का धंधा करते थे। नायक पर Maharashtra Control of Organised Crime Act (MCOCA) के तहत जांच की गई, लेकिन 2003 और 2004 में विभिन्न पुलिस अधिकारियों द्वारा पूछताछ के बाद उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया था।

कई मूवीज की इंस्पिरेशन भी रह चुके हैं

शिमित अमीन की हिंदी फिल्में “अब तक छप्पन” और एन चंद्रा की “कगार” दया नायक के पर्सनल एक्सपीरियन्स पर आधारित हैं। विश्राम सावंत की 2007 की फिल्म “रिस्क” दया नायक के जीवन से प्रेरणा ली गई है। 2010 में रिलीज हुई “गोलीमार” नामक एक तेलुगु फिल्म भी उनके जीवन से प्रेरित है। 2012 की बॉलीवुड फिल्म ‘डिपार्टमेंट’ मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पर आधारित है, जहां दया नायक की भूमिका संजय दत्त ने निभाई है।

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