गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDU) में जारी की गई नई वरिष्ठता सूची को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। बीते 7 जुलाई को विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह सूची जारी की थी, लेकिन शांति की उम्मीद के विपरीत अब शिक्षकों में असंतोष और हंगामा देखने को मिल रहा है। खासतौर से एससी-एसटी वर्ग के शिक्षक और असिस्टेंट प्रोफेसर इस सूची को लेकर नाराज नजर आ रहे हैं।
वरिष्ठता सूची पर शिक्षकों का विरोध
विवि के विज्ञान, वाणिज्य और कला संकाय से जुड़े कई प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर ने वरिष्ठता क्रम में बदलाव को अनुचित बताया है। समाजशास्त्र, गणित, बायोटेक्नोलॉजी और वाणिज्य विभाग के कई शिक्षक इस सूची के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराने की तैयारी में हैं। कुछ शिक्षक तो न्याय न मिलने की स्थिति में कोर्ट का रुख करने का भी मन बना चुके हैं।
DDU : प्रमोशन और योग्यता को नहीं मिला स्थान
शिक्षकों का आरोप है कि नवंबर 2024 में हुई प्रोन्नति को सूची में दरकिनार कर दिया गया है। इसके अलावा, पीएचडी धारक शिक्षकों को नॉन-पीएचडी असिस्टेंट प्रोफेसरों से नीचे दिखाया गया है, जिससे योग्यता के मानकों की अनदेखी हुई है। इससे असिस्टेंट प्रोफेसरों में खासी नाराजगी है और विरोध की आवाजें खुलकर सामने आने लगी हैं।
टॉप-10 पर सवाल
इस बार की वरिष्ठता सूची में टॉप-10 में शामिल एक प्रोफेसर को लेकर भी विवि परिसर में चर्चाएं गरम हैं। 2020 की सूची में वह प्रोफेसर टॉप-100 में थे, लेकिन अब टॉप-10 में स्थान पा गए हैं। यह बदलाव कई शिक्षकों को संदेहास्पद लग रहा है और वे सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
DDU : आपत्ति दर्ज कराने के लिए 30 दिन की अवधि
हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन (DDU) ने स्पष्ट किया है कि यह सूची अंतिम नहीं बल्कि अनंतिम है और इसमें संशोधन की गुंजाइश है। त्रुटियों के विरुद्ध साक्ष्यों के साथ 30 दिन में आपत्ति दर्ज कराने का समय शिक्षकों को दिया गया है। लेकिन जिस तरह से असंतोष बढ़ रहा है, उससे यह संभावना जताई जा रही है कि अंतिम सूची में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।