जमशेदपुर : झारखंड के कोल्हान विश्वविद्यालय में इंटरमीडिएट शिक्षा के चरणबद्ध रूप से हटाए जाने के चलते शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के समायोजन की मांग तेज़ हो गई है। शनिवार को झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय शिक्षकेत्तर कर्मचारी मोर्चा, कोल्हान प्रमंडल के अध्यक्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव को ज्ञापन सौंपा।
कर्मचारियों ने समायोजन को बताया जरूरी
मोर्चा अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बताया कि नवीन शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत इंटरमीडिएट शिक्षा को महाविद्यालयों से अलग किया जा रहा है, जिससे वहां कार्यरत कई अनुभवी कर्मचारियों के सामने बेरोजगारी का संकट खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि ये कर्मचारी बीते 10-15 वर्षों से इंटरमीडिएट के साथ-साथ स्नातक, स्नातकोत्तर और वोकेशनल पाठ्यक्रमों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, और उनका समायोजन विश्वविद्यालय के रिक्त पदों पर किया जाना चाहिए।
रांची विश्वविद्यालय का उदाहरण दिया गया
नीतीश कुमार ने अपनी बात रखते हुए कहा, “रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत 17 अंगीभूत महाविद्यालयों में समायोजन की प्रक्रिया पर कुलपति द्वारा सकारात्मक पहल की जा रही है, उसी तर्ज पर कोल्हान विश्वविद्यालय में भी कदम उठाया जाना चाहिए।”
एक-एक कर्मचारी पर तीन-तीन विभागों का बोझ
मोर्चा के महासचिव नीरज कुमार ने बताया कि महाविद्यालयों में कर्मचारियों की भारी कमी है। उन्होंने कहा, “आज भी एक-एक कर्मचारी से तीन से पाँच विभागों का काम लिया जा रहा है। बीते 30 वर्षों में कोई नई नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में कर्मचारियों का समायोजन ही एकमात्र रास्ता है।” उन्होंने यह भी कहा कि “कर्मचारियों का परिवार, बच्चों की पढ़ाई और उनके जीवन का पूरा आधार यही नौकरी है। अब उम्र ऐसी नहीं बची है कि दूसरी जगह जा सकें।”
सिंडिकेट बैठक में शामिल होगा यह एजेंडा : कुलसचिव
कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने ज्ञापन प्राप्त करने के बाद कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि “यह मुद्दा कुलपति महोदय से विमर्श कर आगामी सिंडिकेट बैठक के एजेंडे में शामिल किया जाएगा।”